सूरज! तू क्या संग लाया है?

सूरज! तू क्या संग लाया है?
आशाओं को,
क्या पीली किरणों में बिखराया है?
सूरज! तू क्या संग लाया है?

सांसें जो
बोझिल हैं अब तक
उनको क्या तू सहलाया है?
सूरज! तू क्या संग लाया है?

मरते मन में
क्या किरणें तेरी
ज्योति नई भर लाई हैं?
विकल मन
चंचल तन को क्या
स्निग्ध सुधा से नहलाई हैं?
सूरज! तू क्या संग लाया है?
-------------------------
राजीव उपाध्याय

1 comment:


  1. मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही ज्ञानवर्धक और मददगार है।
    मैं भी ब्लॉगर हूँ
    मेरे ब्लॉग पर जाने के लिए यहां क्लिक करें (आयुर्वेदिक इलाज)

    ReplyDelete