आर्थिक विकास में कृषि व विनिर्माण जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा सेवा और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ये क्षेत्र न केवल अर्थव्यवस्था को संरचनात्मक विविधता प्रदान करते हैं, बल्कि विकास के वाहक और जोखिम शमन तंत्र प्रदान करने के साथ-साथ भारत को दुनिया का उत्पादन केंद्र बनने के इसके सपने को आधार भी प्रदान करते हैं।
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विकास बढ़ा रुतबा चढ़ा
आर्थिक विकास में कृषि व विनिर्माण जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के अलावा सेवा और प्रौद्योगिकी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ये क्षेत्र न केवल अर्थव्यवस्था को संरचनात्मक विविधता प्रदान करते हैं, बल्कि विकास के वाहक और जोखिम शमन तंत्र प्रदान करने के साथ-साथ भारत को दुनिया का उत्पादन केंद्र बनने के इसके सपने को आधार भी प्रदान करते हैं।
तीर्थयात्राएं: तब और अब
तार्किक से तार्किक व्यक्ति भी तर्क करना कुतर्क से ही प्रारम्भ करता है। फिर दोनों के बीच की भिन्नता को समझकर तर्क के कला में पारंगत होता है। हालांकि कि व्यक्ति कई बार पुरानी आदत दुहराने भी लगता है। वैसे भी मंडल साहब तो मंडल साहब हैं। उनका लेवल ही अलग है।
खैर!
पहले लोग बुढ़ापे में ही तीर्थ करने की सोचते थे। उसका कारण ये नहीं था कि उन बुजुर्ग तीर्थ यात्रियों को ये लगता हो कि इस तीर्थयात्रा मात्र से उन्हें मोक्ष मिल जाएगा! नहीं, ऐसा नहीं था। उन्हें पता था कि इस तीर्थयात्रा से उनके द्वारा किए कर्मों का जो बोझ है वो कुछ हद तक उनके मन से उतर जाएगा। यही समस्त धार्मिक कर्मकाण्डों की अन्तिम परिणिति है। और यदि ये ना हो तो दुनिया में पागलखानों की बाढ़ आ जाए! साथ ही लोगों को पूर्ण विश्वास है कि इन धार्मिक कार्यों से उनका आने वाला समय पहले से कुछ अच्छा हो जाएगा! इसलिए समाज को आशान्वित व संतुलित रखने के लिए धर्म भी आवश्यक है; तीर्थ भी आवश्यक है और थोड़ा बहुत कर्मकाण्ड भी आवश्यक है।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन दुर्घटना एवं महाकुम्भ
धर्म और आस्था प्रायः हर व्यक्ति के लिए महत्त्वपूर्ण होता है। इसलिए महाकुम्भ में स्नान करने की लोगों की इच्छा बहुत ही स्वभाविक है। ठीक उसी तरह सरकार हर उपलब्ध मौके को अपनी उपलब्धि के रूप में दिखाने की प्रवृत्ति होती है। किन्तु इन दोनों के बीच में जब सामंजस्य नहीं रह जाता है तो समस्या आती ही है और जब व्यवस्थाएं लोगों और सत्ता की महत्त्वकांक्षाओं का भार उठा पाने में असक्षम हो तो यह दुर्घटनाओं को आमंत्रित करता ही है।
महाकुम्भ में हर धार्मिक व्यक्ति नहा लेना चाहता है और उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है कि इस महाकुम्भ में अधिक से अधिक लोग स्नान कर लें ताकि वह इसे एक उपलब्धि के रूप में दुनिया के सामने रख सके। इस कुम्भ में स्नान के लिए आनेवाले लोगों की संख्या और व्यवस्था को देखा जाए तो यह निश्चित रूप से एक उपलब्धि जैसा है ही। किन्तु उपलब्धि के माथे कुछ दाग भी हैं!
पहले अमृत स्नान के दिन हुड़दंग के बाद प्रारम्भ हुए भगदड़ में अनेकों लोगों की अकाल मृत्यु हुई। रोज ही सड़कों पर अनेकों लोगों तीर्थयात्रियों की विभिन्न दुर्घटनाओं में मृत्यु हो रही है। और कल नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 18 लोगों की भगदड़ में दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई। इतनी बड़ी व्यवस्था में छिटपूट दुर्घटनाओं की कोई गिनती है ही नहीं।
महाकुम्भ में हर धार्मिक व्यक्ति नहा लेना चाहता है और उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है कि इस महाकुम्भ में अधिक से अधिक लोग स्नान कर लें ताकि वह इसे एक उपलब्धि के रूप में दुनिया के सामने रख सके। इस कुम्भ में स्नान के लिए आनेवाले लोगों की संख्या और व्यवस्था को देखा जाए तो यह निश्चित रूप से एक उपलब्धि जैसा है ही। किन्तु उपलब्धि के माथे कुछ दाग भी हैं!
पहले अमृत स्नान के दिन हुड़दंग के बाद प्रारम्भ हुए भगदड़ में अनेकों लोगों की अकाल मृत्यु हुई। रोज ही सड़कों पर अनेकों लोगों तीर्थयात्रियों की विभिन्न दुर्घटनाओं में मृत्यु हो रही है। और कल नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 18 लोगों की भगदड़ में दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई। इतनी बड़ी व्यवस्था में छिटपूट दुर्घटनाओं की कोई गिनती है ही नहीं।
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