Rajeev Upadhyay
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परम्परा नकल की
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किसी समय में उत्तर प्रदेश की महान परम्परा अनुसार नकल सम्पन्न व शक्तिशाली परिवारों का विशेषाधिकार हुआ करता था। बस कुछ मुट्ठी भर लोग ही नकल के...
रेट
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पहला - 'तुम्हें कितना मिलेगा?' दूसरा - 'तीन सौ।' पहला - 'नया है क्या?' दूसरा - 'हाँ। तुम्हें कितना मिलेगा?' ...
यक्ष प्रश्न
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यक्षः पुत्र! वर माँगो। क्या चाहिए तुम्हें? मैं तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण करूँगा। पेट्रोलः हे देव! मेरी बस एक ही इच्छा है कि इस राज्य में ...
बच्चा का गच्चा
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'बच्चा ने चच्चा को गच्चा दिया।' प्रश्नः इस छंद में किस अलंकार व रस का प्रयोग हुआ है? व्याख्या सहित समझें। नोटः हिन्दी के मॉट सा...
शब्दों के मायने
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तुम जिन रिसालों के जानिब दुनिया बदलना चाहते हो तुम जानते नहीं शायद कि लोग उनको अब पढते नहीं। खबर तुमको नहीं ये भी शायद अब कि शब्दों के मायने...
दर्द दर्ज कर सकता नहीं
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जानता हूँ चुप रहने की सलाहियत वो यूँ ही नहीं देते। हर बार रोए हैं वो लफ्जों की लकीरों पर जिनकी मात्राओं में ना जाने किस-किस की कहानी है।
डरी रहती है
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वो रह रहकर पूछती रहती है ठीक तो हूँ मैं? बहुत डरी रहती है किसी अंजाने भय से! कई बार वो खुद को भी भूल जाती है मेरी ही चिन्ता में जैसे बहुत जर...
फ्रैक्चर, प्लॉस्टर और चुनाव
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अभी मैं उहापोह की स्थिति में पेंडुलम की तरह डोल ही रहा था कि चच्चा हाँफते हुए कहीं चले जा रहे थे। देखकर लगा कि चिढ़े हुए हैं। जैसे उन्होंने क...
कुछ टपकते हुए आधुनिक प्रमेय
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अद्यतन एक बहुत सुखकर प्रक्रिया है। खासकर बुढ़े बुजुर्गों के लिए। भारत एक पुरानी सभ्यता है तो यहाँ सब कुछ ही बहुत पुराना हो गया है। मतलब ब...
चोलबे ना
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चच्चा खीस से एकमुस्त लाल-पीला हो भुनभुनाए जा रहे थे मगर बोल कुछ भी नहीं रहे थे। मतलब एकदम चुप्प! बहुत देर तक उनका भ्रमर गान सुनने के बाद ज...
कि तुम्हारा ख़त मिला
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डाकिए ने थाप दी हौले से आज दरवाजे पर मेरे कि तुम्हारा ख़त मिला। तुमने हाल सबके सुनाए ख़त-ए-मजमून में कुछ हाल तुमने ना मग...
क्योंकि मैं रुक ना सकी मृत्यु के लिए
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क्योंकि मैं रुक ना सकी मृत्यु के लिए दयालुता से मगर इन्तजार उसने मेरा किया और रूकी जब तो हम और अमरत्व बस रह गए। धीरे-धी...
चौकीदार
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संकरी गलियों से गुजरते हुए धीमे और सधे कदमों से लहरायी थी चौकीदार ने लालटेन अपनी और कहा था , “सब कुछ ठीक है!" बैठी बंद जाल...
ग़रीबी
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आह! नहीं चाहती हो तुम कि डरी हुई हो ग़रीबी से तुम; घिसे जूतों में नहीं जाना चाहती हो बाज़ार तुम और नहीं चाहती हो लौटना उसी पुराने...
राम को आईएसआई मार्का
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इस बार के दशहरा में वो हुआ जो कभी भी नहीं हुआ था। जिसका सपना लोग सत्तर साल से देख रहे थे वो इस बार ‘पहली बार’ हो ही गया। कहने का मतलब है...
दोस्ती दुश्मनी का क्या?
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दोस्ती दुश्मनी का क्या? कारोबार है ये। कभी सुबह कभी शाम तलबगार है ये॥ कि रिसालों से टपकती है ये कि कहानियों में बहती है य...
उसके कई तलबगार हुए
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कभी हम सौदा-ए-बाज़ार हुए कभी हम आदमी बीमार हुए और जो रहा बाकी बचा-खुचा उसके कई तलबगार हुए॥ सितम भी यहाँ ढाए जाते हैं रहनुम...
वो जगह
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ढूँढ रहा हूँ जाने कब से धुँध में प्रकाश में कि सिरा कोई थाम लूँ जो लेकर मुझे उस ओर चले जाकर जिधर संशय सारे मिट जाते हैं ...
मेरी कहानी
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तूफान कोई आकर क्षण में चला जाता है पर लग जाते हैं बरसों हमें समेटने में खुद को संभला ही नहीं कि बारिश कोई जाती है घर ढहाकर। ...
सूर्ख शर्तें
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कुछ चेहरे बस चेहरे नहीं होते सूर्ख शर्तें होती हैं हमारे होने की। कुछ बातें बस बातें नहीं होतीं वजह होती हैं हमारे होने की। ...
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