आज, जो ये आज है
कल नहीं रह जाएगा।
बारिश के बादलों सा
कुछ बरसेगा
कुछ रह जाएगा॥
हर बात
हर हस्ती
हर बस्ती
ख़ाक में मिल जाएगी।
फितरत आदमी की
कहाँ-कहाँ ले जाएगी।
भाषा, परिभाषा
और नियमों का क्या?
कुछ नहीं रह जाएगा
बाकी अगर रहा कहीं तो
मिथक बस कहलाएगा॥
ना तुम होगे, ना रहूंगा मैं
प्रेम अमर बस रह जाएगा॥
ये आज जो आज है
कल अतीत बन जाएगा॥
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