हर तस्वीर साफ ही हो ये जरूरी नहीं
जमी मिट्टी भी मोहब्बत की गवाही देती है।
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मैं भी कभी हो बेसुध, नीड़ में तेरी सोता था
बात मगर तब की है, जब माँ तुझे मैं कहता था।
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मोहब्बत में फकीरी है बड़े काम की
दिल को दिल समझ जाए तय मुकाम की॥
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क़त्ल-ओ-गारद का सामान हर हम लाए हैं
तू चाहे खुदा बन या मौत ही दे दे मुझे।
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हर आदमी यहाँ खुदा हो जाना चाहता है
कि कोई सवाल ना करे सवाल उछालना जानता है।
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राजीव उपाध्याय
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