भारतीय अर्थव्यवस्था कुछ तिमाही पहले तक आईएमएएफ और अन्य संस्थाओं के हिसाब दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यस्थाओं में शामिल थी। परन्तु बीते कुछ तिमाहियों में जीडीपी के विकास की गति पिछले कई दशकों मे सबसे कम रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में आए इस नाटकीय बदलाव ने सभी को चकित किया है। हालाँकि आईएमएफ ने इसे शार्ट टर्म समस्या बताया है। अर्थशास्त्रियों ने इस समस्या का विवेचन करते हुए बताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान समस्या का कारण ग्रामीण क्षेत्रों में आई माँग में कमी है। माँग की इस कमी से निपटने में आधारभूत संरचनाओं (इंफ्रास्ट्रक्चर) में निवेश एक प्रभावकारी तरीका हो सकता है। इन सभी कारणों से पूरे देश की निगाहें वित्तमंत्री के द्वारा पेश किए जाने वाले इस साल के बजट पर लगी हुई हैं। सब जानना चाहते हैं कि सरकार अर्थव्यवस्था को दुबारा पटरी पर लाने के लिए क्या क्या घोषणाएं करती है।
इस बजट में यातायत संबन्धी इंफ्रास्ट्रक्चर के समुचित विकास के लिए सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल एक लाख सत्तर हजार करोड़ रुपए के निवेश की बातें कही है। इस हेतु सरकार तकरीबन नौ हजार किलोमीटर के नए इको डेवल्पमेंट कॉरिडोर बनवेगी जिसमें तकरीबन ढाई हजार एक्सेस कंट्रोल हाईवे होंगे। इस निवेश से पुरे देश ना सिर्फ यातायात सुविधाओं का विकास होगा बल्कि रोजगार भी पैदा होगा। इसके सिवाए तटीय क्षेत्रों के विकास हेतु इस वित्तीय वर्ष में सरकार कुल दो सौ तटीय और पोर्ट हाईवे में निवेश करेगी। इन हाईवे के विकास से इन क्षेत्रों में भी यातायात एवं सामान की ढ़ुलाई सुगम होगी एवं रोजगार सृजित होगा। इसी तरह सीमापवर्ती क्षेत्रों में यातायत के आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए तकरीबन दो हजार किलोमीटर लम्बा स्ट्रैटिजिक हाईवे बनाएगी। ये आधारभूत संरचनाएं ना सिर्फ यातायात को सुगम बनाएगी एवं रोजगार की नई संभावनाएं सृजित करेंगी बल्कि इन क्षेत्रों में बेहतर सुरक्षा व्यवस्था में सहायक होगीं। इन परियोजनाओं के सिवाए सरकार आगामी वर्षों में दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेसवे सहित दो अन्य कॉरिडोरों को 2023 तक पूरा करेगी। साथ ही बंगलूरू उपनगरीय यातायात परियोजना में केन्द्र सरकार 18600 करोड़ रुपए का योगदान देगी। उड्डयन क्षेत्र में उडान योजना के अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा सौ एयरपोर्ट विकसित किए जाएंगें तथा विमानों की संख्या को दोगुना किया जाएगा। सरकार चार रेलवे स्टेशनों को पुर्नविकास करेगी एवं रेलवे की सोलर उर्जा के प्रयोग करने की क्षमता को बढ़ाएगी। ये सारी परियोजनाएं देश में ना सिर्फ यातायात को सुगम बनाएंगी बल्कि लाखों लोगों के लिए रोजगार की संभावानों को भी पैदा करेगी।
सामान के ढ़ुलाई हेतु सरकार अपनी महत्त्वकांक्षी नेशनल लॉगिस्टिक पॉलिसी की घोषणा करेगी जो पुरे देश में सामानों के ढ़ुलाई को सुगम करने एवं माल की इनट्रांजिट बरबादी को कम करने में मदद देगी। यदि ये पॉलिसी सही तरीके से लागू हुई तो कृषि उत्पादों की ढ़ुलाई के दौरान बर्बादी में कमी आएगी जो अंततः किसानों की आय बढाने में सहयोगी होगी।
भारतीय घरों में पाइप द्वारा पेय जल उपलब्ध कराने हेतु सरकार ने तीन लाख साठ हजार करोड़ रुपए का निवेश करेगी। इस निवेश के बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में होगा। साथ ही सरकार कृषि क्षेत्र एवं सिंचाई के विकास के लिए दो लाख तिरासी हजार करोड़ रुपए के निवेश की योजना बनाई है। कृषि क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज की समस्या को देखते हुए सरकार ने स्वयंसेवी निकायों के द्वारा कोल्ड स्टोरों का विकास किया जाएगा। इन परियोजनाओं के अलावा सरकार ने एक लाख तेइस हजार करोड़ रुपए ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज के लिए आवंटित किया है और बारह हजार ती सौ करोड़ का निवेश स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत करेगी। यदि ये सभी योजनाएं सही रुप में और समय से कार्यान्वित हो जाती हैं तो लाखों हाथों को रोजगार के लिए मौका पैदा करेगा। इससे ग्रामीण मजदूरों एवं किसानों की आय में महत्त्वपूर्ण सुधार होने की संभावना है जो अंततः ग्रामीण अर्थव्यवस्था में माँग को बढ़ाने में सहयोगी होगा।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास हेतु अनेक मदों एवं क्षेत्रों के लिए अलग-अलग घोषणाओं में पूरे बजट की एक बहुत बड़ा हिस्सा इस हेतु आवंटित किया है। अपनी घोषणाओं में लगभग हर क्षेत्र की जरूरतों की ओर ध्यान देते हुए एक बहुत बड़ी राशि रोड, रेल, उड्डयन एवं ग्रामीण आधारभूत संरचनाओं के विकास हेतु आवंटित किया गया है। इन घोषणाओं के देखते हुए ये कहा जा सकता है कि सरकार ने अर्थशास्त्रियों के सुझावों के अनुसार आधारभूत संरचनाओं के विकास को महत्त्व दिया है। अब आवश्यकता है कि सरकार इन योजनाओं का समुचित एवं समयानुकूल कार्यान्वयन करे।
राजीव उपाध्याय
डॉउनलोड डॉक्यूमेंट:- बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
(प्रभात खबर में 2 फरवरी को प्रकाशित)
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