अडानी समूह: सत्ता और पूँजी

छत्तीसगढ़ सरकार ने अडानी समूह को माइनिंग का ठेका दिया है। ये वही अडानी समूह है जिसके नाम पर विपक्ष सस्ती राजनीति और मीडिया सस्ती रिपोर्टिंग करती रही है और ये सब आगे भी चलता रहेगा क्योंकि राजनीति और मीडिया टीआरपी के भरोसे चलता है। और टीआरपी कम होना मतलब खत्म हो जाना और मरना कौन चाहता है। 

ये सब जानते हैं कि सत्ता और पूँजी में अटूट संबंध होता है और सार्वभौमिक और सार्वकालिक सत्य है। सत्ताएँ बदल जाने से व्यवसायिक हित नहीं बदल जाते। हाँ चेहरे जरूर बदल जाते हैं कभी सत्ता के तो कभी व्यवसाय के और कभी दोनों ही के, मगर नहीं बदलता है तो निहित हित। ये हित पारस्परिक, सामाजिक और राष्ट्रीय; इन तीनों ही परिप्रेक्ष्य में होता है। व्यवसायिक समूह को लाभ कमाना है और सरकार को विकास करना है और रोजगार भी देना है। ये तभी संभव हो सकता है जब दोनों केंद्र एक ही दिशा में काम करें।

अडानी एक व्यवसायिक समूह है जिसे व्यवसाय करना है; चाहे सरकार जो भी रहे। और सरकारें सरकार हैं चाहें नेतृत्व जो भी करे और चाहे जो भी व्यवसायिक समूह हों। इसलिए आर्थिक विषयों पर आँख बंदकर राजनीति को धार देंगे तो वो आपको भी काटेगी। और ऐसी काटेगी कि पता भी नहीं चलेगा और घाव इतना गहरा होगा कि कोई ऑपरेशन भी बाद में काम नहीं आयेगा। 

‘अब पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत।'

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