ग्रामीण अर्थव्यवस्था और बजट 2020

Rural Economy and Budget 2020
बीते कुछ तिमाहियों के दौरान भारतीय व्यवस्था में नाटकीय तरीके से गिरते जीडीपी ग्रोथ ने पूरी दुनिया को हैरान किया है। वर्ष के शुरुआत में आईएमफ ने 2019 के अपने पूर्वानुमान में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास गति 8% आंका था। परन्तु जून बीतते-बीतते भारत सहित दुनिया की विभिन्न स्वतंत्र संस्थाएं वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की गति के पूर्वानुमान को घटाकर 5% तक कर दिया जो अंततः सत्य साबित हो रहा है। हालाँकि आईएमएफ ने अपने नए पूर्वानुमान में भारत की इस आर्थिक मंदी को छोटी अवधि की समस्या बताते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के शीघ्र ही तेज विकास के रास्ते पर लौटने का पूर्वानुमान किया है। अर्थशास्त्रियों ने इस समस्या का विवेचन करते हुए बताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान समस्या के मूल में ग्रामीण क्षेत्रों में आई माँग में कमी है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में माँग में इस कमी के अनेक कारणों में से एक प्रमुख कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक कमजोरियाँ हैं। केन्द्रीय बजट इन कमजोरियों के सामाधन एवं मोदी सरकार की किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने की महत्त्वकांक्षी योजना को अमलीजामा पहनाने का एक सही मौका है।

वित्तमंत्री ने संसद में जब वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट प्रस्तुत किया तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए ना सिर्फ निवेश बढ़ाने का प्रस्ताव रखा बल्कि लम्बे समय से अनेक लंबित संरचनात्मक कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करती भी नजर आईं। इस बजट में कृषि से संबन्धित कानूनों में सुधार, कोआपरेटिव के लिए टैक्स सुधार, किसान के लिए ॠण की सुविधाओं का विस्तार, ग्राम पंचायतों में इन्टरनेट सुविधा, अनुपजाऊ भूमि से कमाई और ग्रामीण सामानों की ढ़ुलाई एवं स्टोरेज हेतु अनेक योजनाओं का घोषणा की। कृषि एवं ग्रामीण विकास की इन सभी योजनाओं का ध्यान रखते हुए सरकार ने 2.88 रुपए कृषि एवं ग्राम विकास तथा 1.23 लाख करोड़ रुपए ग्रामीण एवं पंचायतीराज के विकास के लिए आवंटित किया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता की कमी को देखते हुए सरकार ने उसके प्रभावकारी एवं कम खर्चीले विकल्प के रुप में सोलर उर्जा के प्रयोग को बढ़ाने की योजना बनाई है। इस हेतु प्रधानमंत्री किसान उर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान के तहत सरकार 20 लाख किसानों को सोलर पम्प लगाने में सहायता करेगी ताकि बिजली के समय से ना मिलने से होने वाले कृषि नुकसान से किसानों को बचाया जा सके। सोलर पंपों की सहायता से किसानों को ना केवल समय से सिंचाई की सुविधा मिलेगी बल्कि ये उनके लिए किफायती भी साबित होगा। परन्तु इस योजना की सफलता के लिए सरकार को ना सिर्फ कम कीमतों पर किसानों को इन पंपो को उपलब्ध कराना होगा बल्कि पहले क्षेत्रों में इस योजना को लागू करना होगा जहाँ इनकी सबसे अधिक आवश्यकता है।

कृषि उत्पाद का एक बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में उचित संरक्षण और स्टोरेज की सुविधा की कमी के कारण बर्बाद हो जाता है। इस साल का बजट इस समस्या के समाधान के दिशा में बढ़ता नजर आ रहा है। सरकार की पीपीपी मॉडल के सहारे सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की सहायता से हर गाँव एवं ब्लॉक में कृषि उत्पादों के सरंक्षण के लिए गोदामों एवं कोल्ड स्टोरेज बनाने की योजना है। सरकार ने नाबार्ड को देश में पहले से उपस्थित सभी कृषि वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरों की जियोटैगिंग करेगा जिससे किस क्षेत्र में वेयरहाउस और कोल्ड स्टोरेज की कमी है पता चल सके। कोल्ड स्टोर एवं वेयरहाउस बनाने के लिए सरकार जहाँ भी धन की समस्या आएगी वहाँ अपनी योजनाओं के तहत धन उपलब्ध कराएगी। हालाँकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में उचित मानव कौशल की कमी भी एक बड़ी समस्या है। इसलिए आवश्यक है कि सरकार स्किल इण्डिया के तहत ग्रामीण युवाओं हेतु वेयरहाउसिंग और स्टोरेज के जुड़े स्किल की ट्रैनिंग की व्यवस्था करे। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पाद के समुचित ढ़ुलाई के साधन की कमी को देखते हुए सरकार ने किसान रेल और कृषि उड़ान जैसी योजनाओं की घोषणा की है ताकि जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की समय से ढ़ुलाई हो सके। विदित हो कि कृषि उत्पाद का एक बहुत बड़ा हिस्सा ढ़ुलाई एवं स्टोरेज के समुचित सुविधा ना होने के कारण बर्बाद हो जाता है। यदि समुचित वेयरहाउसिंग, कोल्ड स्टोरेज एवं ढ़ुलाई की सुविधा ग्रामीण क्षेत्रों में हो जाए तो किसानों की आय में अपने आप महत्त्वपूर्ण वृद्धि हो जाएगी।

किसानों के लिए कृषि ॠण की सुविधा बढ़ाने एवं किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधाओं के विस्तार के उद्देश्य से सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में प्रीयारिटी सेक्टर लेंडिंग के तहत 15 लाख करोड़ रुपए का टारगेट रखा है। साथ ही सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के सभी लाभकारियों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना से जोड़कर ॠण उपलब्ध कराने के दिशा में काम करने का योजना प्रस्तावित की है। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि सभी छोटे एवं मार्जिनल किसानों को जिन्हें अभी तक बैकों से कृषि ॠण नहीं मिल पाता है, ॠण की सुविधा मिल सकेगी।

सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत एक बड़ी राशि का आवंटन किया है। इस योजना के तहत जल की कमी से जुझ रहे 100 जिलों में जल प्रबन्धन की समुचित व्यवस्था करने की योजना का प्रावाधन किया गया है। इस बजट में पंचायत स्तर के सभी ग्रामीण सार्वजनिक संस्थाओं आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य केन्द्र, सरकारी विद्यालय, राशन केन्द्र, पोस्ट ऑफिस एवं पुलिस स्टेशनों को इन्टरनेट से जोड़ने की योजना है। इस योजना के तहत एक लाख गाँवों को इन्टरनेट से जोड़ा जाएगा। इस हेतु 6 हजार करोड़ आवंटित किए गए हैं।

मत्स्य उत्पादन में 200 लाख टन एवं दुग्ध उत्पादन में 100% की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही एक जिला एक फल की योजना को बढ़ावा दिया जाएगा। एक जिला एक फल योजना के लागू होने से ना सिर्फ उत्पादन बढ़ जाएगा बल्कि बेहतर सुविधाओं की व्यवस्था आसान हो जाएगी जिससे गुणवत्ता एवं प्रबन्धन दोनों में ही गुणकारी सुधार होगा। नेगोसिएबल वेयरहाउसिंग रीसिप्ट के फिनानसिंग के लिए 6 हजार करोड़ का आवंटन किया गया है तथा ई - नेगोसिएबल वेयरहाउसिंग रीसिप्ट (e-NWR) एवं ई – नेशन एग्रीकल्चर मार्केट (e-NAM) जोड़ दिया गया है। इससे कृषि उत्पादों के अंतर्राज्यीय व्यापार में सुविधा होगी।

सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में माँग की वृद्धि के उद्देश्य से ना केवल कृषि मंत्रालय के बजट में 31% की वृद्धि की बल्कि अन्य योजनाओं जैसे कि प्रधानमंत्री किसान योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, दीन दयाल अंत्योदय योजना, राष्ट्रीय ग्राम स्वराज्य योजना आदि के लिए बजट बढ़ाया है। हालाँकि उर्वरक सब्सिडी में 10.9% की कमी की गई है। परन्तु इसका कारण सरकार की जीरो बजट खेती की योजना को बढ़ाना भी हो सकता है। यदि सरकार इन सभी योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन एवं संरचनात्मक सुधार व संरचनाओं का निर्माण करने में सफल हो जाती है तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में माँग बढ़ जाने से सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था ना सिर्फ उच्च वृद्धि के रास्ते पर वापस लौट आएगी बल्कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य प्राप्त करना संभव हो जाएगा।
 
 राजीव उपाध्याय

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