भारतीय अर्थव्यवस्था का 7.2% के दर से बढ़ने का पूर्वानुमान

अधिकांश वैश्विक संस्थानों का अनुमान है कि 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7% से अधिक की दर से बढ़ेगी। आईएमएफ, आरबीआई और एडीबी ने क्रमशः 7.4%, 7.2% और 7.2% पर पूर्वानुमान लगाया है। यदि भारत दिसंबर 2022 को समाप्त होने वाली तीसरी तिमाही के अंत तक मुद्रास्फीति को भारतीय रिजर्व बैंक के सहिष्णुता स्तरों की सीमा के अन्दर ले आने में सक्षम हो जाती है, तो भारतीय अर्थव्य्वस्था के लिए आर्थिक मोर्चे पर चीजें सहज हो जाएंगी तथा इस बात की संभावना बढ़ जाएगी कि भारत वैश्विक मंदी से बचने में सक्षम हो जाए। हालांकि यह बहुत आसान नहीं होने वाला है क्योंकि इसका होना बहुत हद तक इस साल मानसून पर निर्भर है।

भारतीय कृषि का अभी का सबसे असहज तथ्य ये है कि देश के अधिकतर हिस्सों में इस साल मानसून समय से नहीं आया है। लगभग 50% धान के फसल रोपाई में पहले ही लगभग 3-4 हफ्ते की देरी हो चुकी है बहुत सारे क्षेत्र आँशिक सूखा की स्थिति से गुजर रहे हैं।और इस बात की पूरी संभावना है धान की फसलों से कमाई घटने के कारण पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में खर्चों में आंशिक कटौती की स्थिति बनी रहेगी। किन्तु ये बहुत बड़ी समस्या नहीं होगी।

आर्थिक मोर्चे पर वैश्विक और घरेलू संकेतों को ध्यान में रखते हुए ये कहा जा सकता है यदि भारत कुछ राजकोषीय नीति निर्णयों के साथ-साथ दोहरे घाटों को नियंत्रित करने में सक्षम रहती है तो मुद्रास्फीति का प्रबन्धन और नियंत्रण बहुत कठिन नहीं होगा।

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