मैं ISIS का शुक्रगुजार हूँ

मैं ISIS का शुक्रगुजार हूँ कि उसने मेरे सामान्य ज्ञान को थोड़ा तो बढ़ा दिया नहीं तो यज़ीदी नाम का बहुत पुराना मजहब भी है पता ही नहीं था। इसलिए गुरूदक्षिणा में कुछ और तो नहीं परन्तु धन्यवाद को कह ही सकता हूँ। खून मत माँगना गुरू मेरे शरीर में बहुत खून नहीं है। जीवन भी कितना मनोरंजक और ज्ञानवर्धक है कि हर जगह ज्ञान ही ज्ञान बँट रहा है। वैसे थोड़ा धन्यवाद तो थ्री इडियट्स के आमिर खान को भी जाता है कि उन्होंने ही दुनिया को बताया था कि हर जगह ज्ञान बँट रहा है। इसलिए पक्का वायदा रहा कि आपकी अगली फिल्म देखूँगा! अच्छा मैं शिष्य तो ठीक हूँ ना? वो क्या है ना केजरीवाल जी के आने के बाद सर्टिफिकेशन का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। 

यदि मेरा ज्ञानवर्धन हुआ है तो उम्मीद है कि बाकी लोगों का भी ज्ञानवर्धन हुआ ही होगा। यूँ भी ये ज्ञानवर्धन मनोरंजन के साथ है। वैसे भी थोड़ा बहुत मनोरंजन भी आखिर अंग्रेजी फिल्मों में मरते लोगों को देखकर मिल ही जाता है और हिन्दी फिल्मों के नायक को खलनायक को मारते देखकर उत्साहित होने की हमारी आदत तो खैर बहुत पुरातन है। 

अद्यतन खबर है कि डार्विन के Survival of Fittest के वाद अनुसार कमजोर को मरना ही पड़ता है और सामान्य बोध भी ये कहता है कि पुरानी चीज़ों को हटाकर नई चीज़ लानी ही चाहिए। फिर इतना शोर क्यों कर रही हैं हिन्दूत्ववादी ताकतें इस्लाम को बदनाम करने के लिए (ऐसा एक बहुत ही ज्ञानी और धर्मनिरपेक्ष विचारक का कहना है)? 

मैं तो मानता हूँ कि ISIS जो कर रही है बिल्कुल ठीक है वैसे भी जिहाद करने का उसका अधिकार कौन छीन सकता है? ज्ञानी जनों (कुछ लोगों का ज्ञान पर Copyright है) से नम्र निवेदन है कि मार्गदर्शन करें! 

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