कोटि कोटि नमन कि आज हम आज़ाद हैं

आज शहीद-ए-आज़म भगत सिंह जी के शहादत पर कुछ महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ रहीं हैं इस राष्ट्र की, इस समाज की। आज विद्वतजनों ने बहुत सारी पुरानी पड़ चुकीं परिभाषाओं एवं विमर्श के झाड़-फोछकर नये युग की नयी आवश्यकताओं के हिसाब से परिभाषित कर दिया है। उनके अथक प्रयासों के फलस्वरूप नास्तिकता, आस्तिकता, राष्ट्रवाद, जाति, धर्मनिरपेक्षता एवं सामाजिक समरसता जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर बेहद ऊँचे दर्जे का ज्ञान संवर्धन हुआ है (वैसे कुछ समय पहले तक इनके लिए आस्तिकता, राष्ट्रवाद और जाति जैसे जुमले बजबजाती नाली से निकलते दुर्गंध के समान हुआ करता था)। यह पुरा राष्ट्र उनका आभारी है और साहित्य एवं विमर्श का तो पुनर्जन्म ही हो गया। वैसे भी तकरीबन पिछले सौ सालों से इन्होंने साहित्य के लिए बहुत कुछ किया है विचारधारा के तिनके के सहारे इस संसार के बड़वानल में। आपका शौर्य एवं पराक्रम देखकर शहीद-ए-आज़म भी उपर वाले को धन्यवाद कहते होंगे कि हे भगवन! (माफी चाहता हूँ। आप तो नास्तिक थे) अच्छा किया जो इन महावीरों के युग में पैदा नहीं किया नहीं तो हमें प्रमाणपत्र देने के लिए ये जाने क्या-क्या हमसे करवाते।
कोटि कोटि नमन आप सभी को कि आज हम आज़ाद हैं।

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