महान याकूब मेमन की बेगुनाही

सुना है कि इस देश के विद्वान बहुत नाराज हैं। नाराज होने कि बात है ही। होना ही चाहिए। बताइए याकूब मेमन को फाँसी देने की बात कर रहे हैं लोग। कितने असहिष्णु लोग हैं इस देश के और कोर्ट भी कितनी निगोड़ी है! बताओ इतने महान काम करने के लिए कोई कोर्ट किसी को फाँसी की सजा दे सकती है।महान याकूब मेमन ने तो बस मासूमियत से बम्बई में बम ही तो फोड़ने का काम किया किया है। कुछ गलत तो किया नहीं है। क्या इस आदमी को इस देश संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं देता? भाई याकूब तो अपने मन की बात ही तो कर रहा था बम फोड़कर। लगता है इस देश के लोगों के अन्दर संविधान को समझने की क्षमता ही नहीं रह गई है! कितने भाव विहीन हो गए हैं। 

महान याकूब मेमन की बेगुनाही का ये सबूत कम है कि सारे विद्वान उसके लिए माफी माँग रहे हैं। देखो जी ये बहुत स्पष्ट है कि भाई ने कुछ भी गलत नहीं किया है। याकूब तो महान है उसे तो भारत रत्न दिया जाना चाहिए। इस महान आत्मा की फाँसी का विरोध करने वाले सभी महान देशभक्त व न्यायी विद्वान तो सिर्फ मानवता के प्रति अपने महान कर्तव्य का पालन भर कर रहे हैं। याकूब महान को भी इस देश के संविधान पर विश्वास था और इन विद्वान क्रान्तिकारियों को भी है। इस देश को याकूब और सभी महान विद्वानों पर गर्व है। मैं तो माँग करता हूँ कि एक नए प्रकार के पुरस्कार की घोषणा इन विद्वानों के लिए भी होना चाहिए।

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