बाज़ार तो बाज़ार है
जो खुद में ही गुलज़ार है
उसे क्यों कर फर्क पड़ता
गर कोई लाचार है।
बाज़ार तो बाज़ार है॥
कीमत ही यहाँ हर बात में
है मायने रखती
बिकता यहाँ है सब कुछ
हर कोई किरदार है।
बाज़ार तो बाज़ार है॥
तुम बात कोई और आ कर
यहाँ ना किया करो
कीमत बिगड़ती जाती है
और हर कोई तलबगार है।
बाज़ार तो बाज़ार है॥
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राजीव उपाध्याय
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