नवनियुक्त शान्ति के नये पैगंबर इमरान खान ने विंग कमांडर अभिनंदन का एक एडिटेड वीडियो शान्ति संस्थान आईएसआई के द्वारा अपने भारतीय शान्ति दूतों से वायरल कराया है। इस वीडियो को देखकर साफ-साफ दिखता है यह वीडियो पाकिस्तान के प्रोपगैंडा मैकेनिज्म का हिस्सा है। इस वीडियो के सहारे पाकिस्तान एक सामान्य भारतीय की नजर में विंग कमांडर की छवि खराब करना चाहती है ताकि भारतीय सैन्य बलों के आत्मविश्वास में आए। और साथ ही इस वीडियो के सहारे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को दुरुस्त करने का पाकिस्तान का एक प्रयास है।
शान्ति के लिए परेशान लोगों से एक सवाल है। क्या यह युद्ध का हिस्सा नहीं है? यदि आप 1 मिनट 25 सेकेंड का वीडियो देखेंगे तो उसमें हर दूसरे-तीसरे सेकेंड पर कट है। और आखिरी हिस्से में विंग कमांडर की आवाज लडखडाने लगती है जिससे साफ-साफ पता चलता है इस वीडियो को लेकर विंग कमांडर कितने मानसिक दबाव में रहे होंगे। उनके उपर बनाया गया यह मानसिक दबाव पुरी तरह से जनेवा कंवेंशन के विरुद्ध है। जबकि भारत में बैठे हुए शांति दूत शांति के लिए तडप रहे हैं और इमरान खान के लिए शांति का नोबल पुरस्कार तक माँगने लगे हैं। कमाल है ना?
यदि हम इस वीडियो को ध्यान से देखें तो इसके कंटेंट और रीलीज के समय से इसका मकसद साफ-साफ दिखता है। इस प्रोपगैंडा के सहारे पाकिस्तान भारतीयों के मन में अपने सैनिकों के प्रति संदेह पैदा करना चाहता है। इस वीडियो के सहारे पाकिस्तान ये दिखाना चाहता है कि भारतीय सैनिक कमजोर होता है और दबाव में टूट जाता है। पाकिस्तान बहुत अच्छे तरीक़े से जानता है कि यदि वह एक आम हिंदुस्तानी के मन में सैनिकों के प्रति संदेह पैदा करने में सफल हो गया तो भारतीय सैनिक अपने आप कमजोर हो जाएंगे क्योंकि एक सैनिक आत्मबल उसके देशवासियों के विश्वास के बराबर ही होता है।
काट-छाँट और एडिटिंग के सहारे एक स्क्रिप्ट गढी गई है। इसके लिए जाने कहाँ की बात कहाँ जोडी और घटाई गई है। इसका उद्देश्य ये साबित करना कि भारत ने बेवजह ही अपने मीडिया के दबाव और उकसावे में पाकिस्तान पर हमला किया है। ताकि भारत को जो कुटनीतिक बढत मिली है उसे बैलेंस किया जा सके।
ऐसा नहीं है कि यहाँ के शांति दूत ये समझते नहीं हैं पर उनकी क्रान्ति का तरीका शायद यही है। दुखद है परन्तु सत्य है।
राजीव उपाध्याय
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