यूँ कर ना यकीन कर


इक आईना जो देखा है आँखों में तेरी
बरक्स जिसके दूसरा कोई मिलता नहीं।
--------------------------- 

मेरे कहे का यूँ कर ना यकीन कर
मतलब मेरे कहने का कुछ और था।
--------------------------- 

हर तस्वीर साफ ही हो ये जरूरी नहीं 
जमी मिट्टी भी मोहब्बत की गवाही देती है। 
--------------------------- 

हसरतें मेरी अब अखबारों सी हो गई हैं
हर शाम सिर झुकाकर खो जाती हैं कहीं। 
---------------------------

सुना था आइने में चेहरा दिखता है।
पर आज चेहरे में चेहरा दिखा है॥
---------------------------

No comments:

Post a Comment