इक आईना जो देखा है आँखों में तेरी
बरक्स जिसके दूसरा कोई मिलता नहीं।
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मेरे कहे का यूँ कर ना यकीन कर
मतलब मेरे कहने का कुछ और था।
हर तस्वीर साफ ही हो ये जरूरी नहीं
जमी मिट्टी भी मोहब्बत की गवाही देती है।
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हसरतें मेरी अब अखबारों सी हो गई हैं
हर शाम सिर झुकाकर खो जाती हैं कहीं।
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सुना था आइने में चेहरा दिखता है।
पर आज चेहरे में चेहरा दिखा है॥
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