
Expressing myself and discussing on Socio-Political-Economic Issues concerning India and the world.
NYAY: Is It Deliverable?

अडानी समूह: सत्ता और पूँजी
छत्तीसगढ़ सरकार ने अडानी समूह को माइनिंग का ठेका दिया है। ये वही अडानी समूह है जिसके नाम पर विपक्ष सस्ती राजनीति और मीडिया सस्ती रिपोर्टिंग करती रही है और ये सब आगे भी चलता रहेगा क्योंकि राजनीति और मीडिया टीआरपी के भरोसे चलता है। और टीआरपी कम होना मतलब खत्म हो जाना और मरना कौन चाहता है।
ये सब जानते हैं कि सत्ता और पूँजी में अटूट संबंध होता है और सार्वभौमिक और सार्वकालिक सत्य है। सत्ताएँ बदल जाने से व्यवसायिक हित नहीं बदल जाते। हाँ चेहरे जरूर बदल जाते हैं कभी सत्ता के तो कभी व्यवसाय के और कभी दोनों ही के, मगर नहीं बदलता है तो निहित हित। ये हित पारस्परिक, सामाजिक और राष्ट्रीय; इन तीनों ही परिप्रेक्ष्य में होता है। व्यवसायिक समूह को लाभ कमाना है और सरकार को विकास करना है और रोजगार भी देना है। ये तभी संभव हो सकता है जब दोनों केंद्र एक ही दिशा में काम करें।
चुप मत रहिए; मुखर होइए इन चुप्पियों के खिलाफ

अभी तक आतंकवाद की पौधशाला इस्लाम के अगल-बगल घूम रही थी परन्तु इसने अब ईसाइयत को भी अपने जद में लेना शुरू कर दिया है। यह प्रतिक्रिया स्वरूप हो रहा है और इस खतरनाक प्रतिक्रिया को विरुद्ध कहीं ढँग से आवाज तक नहीं उठ रही है इस देश में। ये प्रतिक्रियाएँ और चुप्पियाँ शायद कुछ समय बाद सनातन के साथ-साथ अन्य धर्म भी इसकी जद में लेना शुरू कर दें तो हैरान होने जैसी बात नहीं होगी तब। ये इस्लाम के नाम के सहारे फैले आतंकवाद की प्रतिक्रिया करते करते लोग उसी विचार को अपनाते जा रहे हैं। इसे आतंकवाद का विरोध करते-करते आतंकवादी हो जाना ही कहेंगे और ये कहीं से भी समाधान नहीं हो सकता।
एडिटेड वीडियो: प्रोपगैंडा वॉर
नवनियुक्त शान्ति के नये पैगंबर इमरान खान ने विंग कमांडर अभिनंदन का एक एडिटेड वीडियो शान्ति संस्थान आईएसआई के द्वारा अपने भारतीय शान्ति दूतों से वायरल कराया है। इस वीडियो को देखकर साफ-साफ दिखता है यह वीडियो पाकिस्तान के प्रोपगैंडा मैकेनिज्म का हिस्सा है। इस वीडियो के सहारे पाकिस्तान एक सामान्य भारतीय की नजर में विंग कमांडर की छवि खराब करना चाहती है ताकि भारतीय सैन्य बलों के आत्मविश्वास में आए। और साथ ही इस वीडियो के सहारे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को दुरुस्त करने का पाकिस्तान का एक प्रयास है।
शान्ति के लिए परेशान लोगों से एक सवाल है। क्या यह युद्ध का हिस्सा नहीं है? यदि आप 1 मिनट 25 सेकेंड का वीडियो देखेंगे तो उसमें हर दूसरे-तीसरे सेकेंड पर कट है। और आखिरी हिस्से में विंग कमांडर की आवाज लडखडाने लगती है जिससे साफ-साफ पता चलता है इस वीडियो को लेकर विंग कमांडर कितने मानसिक दबाव में रहे होंगे। उनके उपर बनाया गया यह मानसिक दबाव पुरी तरह से जनेवा कंवेंशन के विरुद्ध है। जबकि भारत में बैठे हुए शांति दूत शांति के लिए तडप रहे हैं और इमरान खान के लिए शांति का नोबल पुरस्कार तक माँगने लगे हैं। कमाल है ना?
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