छायाकृति

लम्बाई मेरी चौडाई, मेरे पिता जैसी है
मेरी बेटी कहती है उसके बाबा की तरह हूँ बोलता
और मेरी पत्नी को लगता है कि हम बाप-बेटे दोनों एक जैसे हैं।

सालों पहले यही बात माँ भी कहती थी
थोड़ा सा उसका हूँ कि बाकी हूँ पिता का;
मगर लगता था तब कुछ और ही
कि अलहदा हूँ पिता से मेरे अपने
मगर झुर्रियां मेरे भाई की
आइने में मेरी अपनी लगती हैं
कि शायद मैं मेरे पिता की
छायाकृति हूँ कोई
जो दादा से मेरे
मेरे बच्चों तक पहुँची है।
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राजीव उपाध्याय

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