बीते कुछ तिमाहियों के दौरान भारतीय व्यवस्था में नाटकीय तरीके से गिरते जीडीपी ग्रोथ ने पूरी दुनिया को हैरान किया है। वर्ष के शुरुआत में आईएमफ ने 2019 के अपने पूर्वानुमान में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास गति 8% आंका था। परन्तु जून बीतते-बीतते भारत सहित दुनिया की विभिन्न स्वतंत्र संस्थाएं वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की गति के पूर्वानुमान को घटाकर 5% तक कर दिया जो अंततः सत्य साबित हो रहा है। हालाँकि आईएमएफ ने अपने नए पूर्वानुमान में भारत की इस आर्थिक मंदी को छोटी अवधि की समस्या बताते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के शीघ्र ही तेज विकास के रास्ते पर लौटने का पूर्वानुमान किया है। अर्थशास्त्रियों ने इस समस्या का विवेचन करते हुए बताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान समस्या के मूल में ग्रामीण क्षेत्रों में आई माँग में कमी है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में माँग में इस कमी के अनेक कारणों में से एक प्रमुख कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक कमजोरियाँ हैं। केन्द्रीय बजट इन कमजोरियों के सामाधन एवं मोदी सरकार की किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने की महत्त्वकांक्षी योजना को अमलीजामा पहनाने का एक सही मौका है।
कोरोना रूपी मानवीय त्रासदी

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार हुबेई के किसी बायोकेमिकल लैबोरेट्री में चीनी वैज्ञानिक केमिकल वेपन के रूप मे उपयोग में लाए जा सकने लायक वायरसों की खोज एवं प्रयोग हो रहा था। उसी क्रम में हुएह लीकेज के कारण ये वायरस कंट्रोल्ड इंवायरमेंट से निकलकर मानवीय संपर्क में आ गया और जब वैज्ञानिकों को इसकी खबर लगी ये कोरोना वायरस बेतरतीब तरीक़े से फैल शुरू कर दिया था।
बौद्धिक हिप्पोक्रेसी एवं हिन्दुओं में जागता विक्टिम भाव

Budget 2020

बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
भारतीय अर्थव्यवस्था कुछ तिमाही पहले तक आईएमएएफ और अन्य संस्थाओं के हिसाब दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यस्थाओं में शामिल थी। परन्तु बीते कुछ तिमाहियों में जीडीपी के विकास की गति पिछले कई दशकों मे सबसे कम रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में आए इस नाटकीय बदलाव ने सभी को चकित किया है। हालाँकि आईएमएफ ने इसे शार्ट टर्म समस्या बताया है। अर्थशास्त्रियों ने इस समस्या का विवेचन करते हुए बताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान समस्या का कारण ग्रामीण क्षेत्रों में आई माँग में कमी है। माँग की इस कमी से निपटने में आधारभूत संरचनाओं (इंफ्रास्ट्रक्चर) में निवेश एक प्रभावकारी तरीका हो सकता है। इन सभी कारणों से पूरे देश की निगाहें वित्तमंत्री के द्वारा पेश किए जाने वाले इस साल के बजट पर लगी हुई हैं। सब जानना चाहते हैं कि सरकार अर्थव्यवस्था को दुबारा पटरी पर लाने के लिए क्या क्या घोषणाएं करती है।
The Worst Phase of Economic Slowdown is Over?
Different indicators are signalling that the worst phase of economic slowdown in Indian economy is possibly over. These indicators are either becoming stable or stronger. However, these are still very weak to give strong indications about reversal in trend. Now, it all depends on budget presented by the government on 1st Feb 2020. If the budget is able to instill the confidence in the psychology of economy, economy would be back on growth trajectory.
Cutting Personal Taxes Would Increase Demand in Economy

Lack of Reforms Led to Slowdown in Indian Economy

As a result of reforms in the economy at structural level,
the GDP growth rates started accelerating and crossed the mark of 8% in 2006.
However this high rate of growth in GDP could not sustain longer in lack of further
reforms required by the changed economic and institutional realities which were
result of globalization as well as economic and financial integration with the
world. Also post 2004 period, government kept on increasing expenditure without
arranging for increase in revenues.
By the end of second term of UPA government, there were
enough sings of fractures in the economy. This alarmed the government to take
curative actions but forthcoming election did not allowed the government to
exercise much required discipline.
नागरिकता अधिनियम पर हंगामा है क्यों बरपा?

नागरिकता अधिनियम 1955 में सामान्य स्थिति में भारत में नागरिकता मिलने के ४ निम्नलिखित प्रकार वर्णित हैं।
१. जन्म से (By Birth)
२. वंशागत (By Descent)
३. पंजीकरण (By Registration)
४. प्राकृतीकरण (By Naturalization)
हालांकि एक पाँचवाँ प्रकार भी है नागरिकता को लेकर परन्तु यह तब लागू होता है जब भारत किसी भूभाग को अपनी सीमाओं में अधिग्रहित करता है। अधिग्रहण के फलस्वरूप उस भूभाग में रहने वाले सभी निवासियों प्राकृतिक रुप से नागरिकता मिल जाती है।
कि तुम्हारा ख़त मिला
डाकिए ने
थाप दी हौले से
आज दरवाजे पर मेरे
कि तुम्हारा ख़त मिला।
तुमने हाल सबके सुनाए
ख़त-ए-मजमून में
कुछ हाल तुमने ना मगर
अपना सुनाया
ना ही पूछा
किस हाल में हूँ?
कि तुम्हारा ख़त मिला।
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