
Fight against Coronavirus: Maharashtra, Gujarat and West Bengal are Cause of Concern

लॉकडॉउन: एक जरूरी कदम

ये बात सही है कि लॉकडॉउन के कारण करोड़ों लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। लाखों लोग अपने घर परिवार से दूर अंजान शहरों में कुछ घरों में तो कुछ सड़कों पर बन्द पड़े हैं। लाखों या फिर करोंड़ों मजदूर शहरों में भूख व अन्य परेशानियों का सामना कर रहे हैं और सरकारों व दूसरों की सहायता पर जीवित रहने के लिए निर्भर हैं। हालाँकि अब धीरे-धीरे सरकारें लोगों को उनके घर पहुँचाने का प्रयास कर रही हैं। परन्तु यदि उनको लॉकडॉउन के दौरान ही कोरोना प्रभावित शहरों से उनके घरों को जाने देने दिया जाता तो हर गाँव के कोरोना से संक्रमित होने की संभावना थी। इसलिए न चाहकर भी बाकी लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए ये ऐतिहात जरूरी था।
A Narrative and Religion of Violence

But remember, you would also be treated in the same way some day by somebody for the same reason that is airing your views! That moment you will feel vulnerable. Then perhaps you will find yourself very weak and will cry when nobody will stand up for you. However, that also would be a bad thing but that would be just a continuation of the same bad precedent that has been and is being justified on social media by many. A narrative and religion of violence! But the Karma comes back to haunt us all till the end! No matters who we are?
India's Response to Chinese Efforts to Buy Stakes in Indian Firms

There remains no doubt that it would be very difficult for many Indian firms to survive the financial onslaught post Covid and would be prone to hostile takeover by foreign entities. It was also possible that pursuing its own design China might have bought out many Indian firms through backdoor such as firms from tax havens and other allied nations besides the direct share purchases by Chinese nationals and firms. There was a need for policy intervention and thankfully Indian government did that by amending the automatic foreign direct investment rules. It is expected to check and reining in such possibilities.
Indian Economy Post Covid-19

India has to Extend Lockdown

कोरोना और दीपक जलाना

कोरोना वायरस, लॉकडॉउन और बैंकों लगती भीड़

केंद्र और राज्य सरकारों ने जबसे कोरोना वायरस के कारण फैलती महामारी और लॉकडॉउन के कारण संकट में आए लोगों के लिए सहायता एवं नरेगा राशि रीलीज किया है तबसे देश भर के बैंकों में बहुत ही ज्यादा भीड़ लगने लगी है। इस भीड़ के कारण सोशल डिस्टेंसिंग की सारी कोशिशें नाकाम हो रही हैं और लॉकडॉउन के कारण जो कुछ भी हाशिल हुआ है उसे खोने का डर पैदा होने लगा है। इस स्थिति में सरकार को इस सहायता राशि को लोगों तक पहुँचाने के तरीके को बदलना चाहिए। बेहतर होगा कि लोगों के बैंक जाने के बदले बैंक ही गाँव-गाँव जाकर इस पैसे का वितरण करें। इस काम में ग्राम पंचायतें एवं पुलिस एक बहुत ही सकारात्मक व बेहतर भूमिका निभा सकती हैं।
Book Review: Broken Bangles: A Literary Corpus by Vaidehi Sharma

The second story ‘Perfume’ is story of family which is about an unspoken truth which destroyed a family as foundation of trust was shaken and in the end ‘Sudesh’ and ‘Nisha’ end up losing their son ‘Chinmay’ and ‘Priya’ her brother.
लॉकडॉउन, डर और घर की तरफ जाते हुए लोग
दिल्ली, मुम्बई व अहमदाबाद, हर बड़े शहरों से लोग भागकर अपने गाँव और घरों की ओर लौटना शुरू कर दिए हैं। इन शहरों के बस स्टेशनों पर भीड़ है। एक बहुत बड़ी भीड़। हजारों-लाखों लोग अपने घरों की तरफ लौट पड़े हैं कुछ पैदल तो कुछ सरकार द्वारा उपलब्ध कराए यातायात साधनों से। समाचार चैनेल, अखबार व सोशल मीडिया ऐसी सूचनाओं से भरा पड़ा है।
अपने घरों की तरफ जाते हुए लोगों को जो जहाँ है वहीं रोकने के लिए भोजन, आवास व स्वास्थ्य की समुचित सुविधाओं की वैकल्पिक व्यवस्था करना आवश्यक है ना कि उनके जाने के बस या ट्रक की। अभी वे किसी राज्य या जिला विशेष के निवासी या फिर भार नहीं वरन नागरिक हैं जो कोरोना वायरस के संभावित कैरियर भी हो सकते हैं। वे भारत की केंद्रीय व राज्य सरकारों की जिम्मेवारी हैं। अब तक सरकारों ने अपना काम बहुत बढिया से किया है। परन्तु इन लोगों का इस तरह से देश के एक कोने से दूसरे कोने में जाना इस लॉकडॉउन के उद्देश्य एवं सरकारों व स्वास्थ्य विभाग के सभी प्रयासों को असफल बना सकता है। भारत अभी उस मोड पर खडा है जहाँ उसमें लॉकडॉउन की असफलता को बर्दाश्त कर पाने की क्षमता नहीं है। ना ही आर्थिक और ना ही स्वास्थ्य की मूलभूत सुविधाओं की।
अपने घरों की तरफ जाते हुए लोगों को जो जहाँ है वहीं रोकने के लिए भोजन, आवास व स्वास्थ्य की समुचित सुविधाओं की वैकल्पिक व्यवस्था करना आवश्यक है ना कि उनके जाने के बस या ट्रक की। अभी वे किसी राज्य या जिला विशेष के निवासी या फिर भार नहीं वरन नागरिक हैं जो कोरोना वायरस के संभावित कैरियर भी हो सकते हैं। वे भारत की केंद्रीय व राज्य सरकारों की जिम्मेवारी हैं। अब तक सरकारों ने अपना काम बहुत बढिया से किया है। परन्तु इन लोगों का इस तरह से देश के एक कोने से दूसरे कोने में जाना इस लॉकडॉउन के उद्देश्य एवं सरकारों व स्वास्थ्य विभाग के सभी प्रयासों को असफल बना सकता है। भारत अभी उस मोड पर खडा है जहाँ उसमें लॉकडॉउन की असफलता को बर्दाश्त कर पाने की क्षमता नहीं है। ना ही आर्थिक और ना ही स्वास्थ्य की मूलभूत सुविधाओं की।
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