
Coronavirus: Why a Fear Frenzy Behaviour?

Yes Bank Failure: A Collective Failure of Regulators
The arrest of Rana Kapoor by Enforcement Directorate (ED) after hours of questioning and the problems arising at Yes Bank are not something that are related to the problems at Yes Bank only. It is part of a bigger story and is result of collective regulatory failure. News are not talking that ED is expected to question Rana Kapoor’s wife too in the same case. These incidents at Yes Bank are not just related to Yes Bank only and stray events but also have direct links to scams and ongoing high profile investigation in DHFL case. In case of DHFL many financial institutions and individuals (celebrities and professionals) are said to be involved to varying degrees.
कुछ टपकते हुए आधुनिक प्रमेय
अद्यतन एक बहुत सुखकर प्रक्रिया है। खासकर बुढ़े बुजुर्गों के लिए। भारत एक पुरानी सभ्यता है तो यहाँ सब कुछ ही बहुत पुराना हो गया है। मतलब बुर्जुआ टाइप का! इसलिए इस विषम समय में भारत को अपडेट करते रहना भी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य है। समय की घिसावट से कुछ नए आधुनिक प्रमेय लार की तरह टपकते ही रहते हैं और उन प्रमेयों को स्पष्ट करते ही रहना चाहिए। तो इस प्रयोजन हेतु कुछ टपकते हुए आधुनिक प्रमेय:
1. एक अकेला क्रांतिकारी सात लठैतों के बराबर होता है। अतः अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कम से कम आठ की संख्या में ही अप्रोच करें। - सूत्र 15/100 करोड़ वाया वारिस पठान
1. एक अकेला क्रांतिकारी सात लठैतों के बराबर होता है। अतः अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कम से कम आठ की संख्या में ही अप्रोच करें। - सूत्र 15/100 करोड़ वाया वारिस पठान
Impact of Different Rates of Interest Offered by Two Sets of Institutions

चोलबे ना

‘चच्चा! कुछ बोलोगे भी कि बस गाते ही रहोगे? मेरे कान में शहनाई बजने लगी है; पकड़कर शादी करा दूँगा आपकी अब!’
चच्चा हैरान होकर मेरी तरफ देखने लगे। जब मैंने एक बुद्धिजीवी की तरह प्रश्नात्मक मुद्रा में उनकी ओर देखा तो वो पूछे
‘मतलब तुमने सुन ही लिया जो मैं बोल रहा था?’
मैंने वापसी की बस पकड़कर बोला, ‘आपकी चीख सुनाई नहीं दी; बस सूँघा हूँ! अब बोल भी दीजिए नहीं तो बदहजमी हो जाएगी’
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और बजट 2020
बीते कुछ तिमाहियों के दौरान भारतीय व्यवस्था में नाटकीय तरीके से गिरते जीडीपी ग्रोथ ने पूरी दुनिया को हैरान किया है। वर्ष के शुरुआत में आईएमफ ने 2019 के अपने पूर्वानुमान में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास गति 8% आंका था। परन्तु जून बीतते-बीतते भारत सहित दुनिया की विभिन्न स्वतंत्र संस्थाएं वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की गति के पूर्वानुमान को घटाकर 5% तक कर दिया जो अंततः सत्य साबित हो रहा है। हालाँकि आईएमएफ ने अपने नए पूर्वानुमान में भारत की इस आर्थिक मंदी को छोटी अवधि की समस्या बताते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के शीघ्र ही तेज विकास के रास्ते पर लौटने का पूर्वानुमान किया है। अर्थशास्त्रियों ने इस समस्या का विवेचन करते हुए बताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान समस्या के मूल में ग्रामीण क्षेत्रों में आई माँग में कमी है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में माँग में इस कमी के अनेक कारणों में से एक प्रमुख कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक कमजोरियाँ हैं। केन्द्रीय बजट इन कमजोरियों के सामाधन एवं मोदी सरकार की किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने की महत्त्वकांक्षी योजना को अमलीजामा पहनाने का एक सही मौका है।
कोरोना रूपी मानवीय त्रासदी

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार हुबेई के किसी बायोकेमिकल लैबोरेट्री में चीनी वैज्ञानिक केमिकल वेपन के रूप मे उपयोग में लाए जा सकने लायक वायरसों की खोज एवं प्रयोग हो रहा था। उसी क्रम में हुएह लीकेज के कारण ये वायरस कंट्रोल्ड इंवायरमेंट से निकलकर मानवीय संपर्क में आ गया और जब वैज्ञानिकों को इसकी खबर लगी ये कोरोना वायरस बेतरतीब तरीक़े से फैल शुरू कर दिया था।
बौद्धिक हिप्पोक्रेसी एवं हिन्दुओं में जागता विक्टिम भाव

Budget 2020

बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
भारतीय अर्थव्यवस्था कुछ तिमाही पहले तक आईएमएएफ और अन्य संस्थाओं के हिसाब दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यस्थाओं में शामिल थी। परन्तु बीते कुछ तिमाहियों में जीडीपी के विकास की गति पिछले कई दशकों मे सबसे कम रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में आए इस नाटकीय बदलाव ने सभी को चकित किया है। हालाँकि आईएमएफ ने इसे शार्ट टर्म समस्या बताया है। अर्थशास्त्रियों ने इस समस्या का विवेचन करते हुए बताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान समस्या का कारण ग्रामीण क्षेत्रों में आई माँग में कमी है। माँग की इस कमी से निपटने में आधारभूत संरचनाओं (इंफ्रास्ट्रक्चर) में निवेश एक प्रभावकारी तरीका हो सकता है। इन सभी कारणों से पूरे देश की निगाहें वित्तमंत्री के द्वारा पेश किए जाने वाले इस साल के बजट पर लगी हुई हैं। सब जानना चाहते हैं कि सरकार अर्थव्यवस्था को दुबारा पटरी पर लाने के लिए क्या क्या घोषणाएं करती है।
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