8 अप्रैल 2022 के रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग के रीसाल्यूशन के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति (Headline CPI inflation) की दर जनवरी महीने में 6.0% तथा फरवरी महीने में 6.1% थी। हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति की दर का यह स्तर केन्द्रीय बैंक के अपेक्षित अधिकतम दर (Upper Tolerance Threshold) की तुलना में या तो अधिक या फिर बार्डर पर थी। इसी अवधि में अर्थव्यवस्था में कोर मुद्रास्फीति (Core inflation) की दर भी लगभग 6% के आसपास लगातार बनी रही। ऐसा नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में ऊँची मुद्रास्फीति की दर की स्थिति सिर्फ पिछले दो या तीन महीनों से बनी हुई है। बल्कि यह स्थिति कम से कम छः महीने से अधिक समय से बनी हई है। हालाँकि इस तथ्य का एक पक्ष ये भी है कि इस समय पूरी दुनिया ऊँची मुद्रास्फीति की स्थिति से परेशान है। पहले कोरोना वायरस महामारी एवं अब यूक्रेन-रूस युद्ध ने पूरी दुनिया के लिए आर्थिक परिदृश्य को बिगाड़ने का काम किया है तथा मुद्रास्फीति पर सीधे तौर नकारत्मक प्रभाव डाला है।
परम्परा नकल की
किसी समय में उत्तर प्रदेश की महान परम्परा अनुसार नकल सम्पन्न व शक्तिशाली परिवारों का विशेषाधिकार हुआ करता था। बस कुछ मुट्ठी भर लोग ही नकल के विशेषाधिकार को प्रयोग कर पाते थे। वो तो धन्य हों माननीय मुलायम सिंह जी जिन्होंने नकल नामक महान क्रांतिकारी विचार का लोकतांत्रिकरण कर ना सिर्फ नकल को सर्व सुलभ बना दिया बल्कि भारतीय संविधान में वर्णित समानता के अधिकार की रक्षा कर भारतीय लोकतंत्र को शक्ति प्रदान की।
विक्टर ह्यूगो ने ऐसे ही थोड़े कहा था कि जिस चीज का समय आ जाता है उसे होने से कोई भी रोक नहीं सकता है।
मैं एक बहुत ही परम्परावादी व्यक्ति हूँ और सदैव ही प्रयास करता हूँ कि परम्पराएँ जीवित व संरक्षित रहें। लेकिन मैं परम्परावादी होने के साथ-साथ लोकतंत्रवादी भी हूँ। मेरी राय है कि परीक्षाओं से पहले पेपर के लीक होने से समाज में समानता के भाव में कमी आती है व पुराना विशेषाधिकार वाला भाव प्रभावी होता है। इस तरह यदि ये कहा जाए कि माननीय मुलायम सिंह का क्रांतिकारी विचार अब बुर्जुआ हो चुका है। सुना है कि हर क्रान्तिकारी विचार कुछ समय बाद बुर्जुआ हो ही जाता है।
मैं एक बहुत ही परम्परावादी व्यक्ति हूँ और सदैव ही प्रयास करता हूँ कि परम्पराएँ जीवित व संरक्षित रहें। लेकिन मैं परम्परावादी होने के साथ-साथ लोकतंत्रवादी भी हूँ। मेरी राय है कि परीक्षाओं से पहले पेपर के लीक होने से समाज में समानता के भाव में कमी आती है व पुराना विशेषाधिकार वाला भाव प्रभावी होता है। इस तरह यदि ये कहा जाए कि माननीय मुलायम सिंह का क्रांतिकारी विचार अब बुर्जुआ हो चुका है। सुना है कि हर क्रान्तिकारी विचार कुछ समय बाद बुर्जुआ हो ही जाता है।
रेट
पहला - 'तुम्हें कितना मिलेगा?'
दूसरा - 'तीन सौ।'
पहला - 'नया है क्या?'
दूसरा - 'हाँ। तुम्हें कितना मिलेगा?'
पहला - 'पाँच सौ।'
दूसरा -'ऐं! पाँच सौ?'
पहला -'हैरान क्यों हो रहा है? कुछ तो सिर्फ खाने पर आए हैं।'
दूसरा - 'तीन सौ।'
पहला - 'नया है क्या?'
दूसरा - 'हाँ। तुम्हें कितना मिलेगा?'
पहला - 'पाँच सौ।'
दूसरा -'ऐं! पाँच सौ?'
पहला -'हैरान क्यों हो रहा है? कुछ तो सिर्फ खाने पर आए हैं।'
यक्ष प्रश्न
यक्षः पुत्र! वर माँगो। क्या चाहिए तुम्हें? मैं तुम्हारी सारी मनोकामना पूर्ण करूँगा।
पेट्रोलः हे देव! मेरी बस एक ही इच्छा है कि इस राज्य में सदैव ही चुनाव होता रहे।
यक्षः क्यों पुत्र? ऐसा क्यों चाहते हो? चुनाव के कारण राज्य का समस्त क्रिया-कलाप ठप्प हो जाता है जो उचित नहीं है।
पेट्रोलः जब तक इस राज्य में चुनाव रहता है मेरा मूल्य स्थिर रहता है जिस कारण लोगों का मुझ पर प्रेम बना रहता है। आप तो जानते ही हैं कि प्रेम ही सबसे बड़ा सत्य व सनातन भाव है।
पेट्रोलः हे देव! मेरी बस एक ही इच्छा है कि इस राज्य में सदैव ही चुनाव होता रहे।
यक्षः क्यों पुत्र? ऐसा क्यों चाहते हो? चुनाव के कारण राज्य का समस्त क्रिया-कलाप ठप्प हो जाता है जो उचित नहीं है।
पेट्रोलः जब तक इस राज्य में चुनाव रहता है मेरा मूल्य स्थिर रहता है जिस कारण लोगों का मुझ पर प्रेम बना रहता है। आप तो जानते ही हैं कि प्रेम ही सबसे बड़ा सत्य व सनातन भाव है।
बच्चा का गच्चा
प्रश्नः इस छंद में किस अलंकार व रस का प्रयोग हुआ है? व्याख्या सहित समझें।
नोटः हिन्दी के मॉट सा'ब लोग! आपको आपके क्लासरूम की कसम यदि कोई भाषाई त्रुटि हुई तो भूल-चूक माफ करते हुए सुधार कर पढ़ने की स्वंय पर कृपा करें।
विनीत
प्रश्नपत्र का सेटर
प्रश्नपत्र का सेटर
बंगाल की हिंसा व सामूहिक चुप्पियाँ
कहा जाता है भारत में रातों रात बड़ा आदमी बनने का रास्ता सामान्यतः राजनैतिक गलियारों से होकर गुजरता है। संभवतः ये पूरी दुनिया व हर काल के लिए सत्य हो। खैर। इस राजनैतिक गलियारे ने सामाजिक स्तर पर व्यक्तिगत व राजनैतिक विभेद को लगभग पूर्णतया समाप्त कर दिया है। अब हर सार्वजनिक चीज व्यक्तिगत हो चुकी है और हर व्यक्तिगत चीज सार्वजनिक बनकर राजनैतिक हो चुकी है। बाजार की बढ़ती शक्ति ने बचे-खुचे विभेद को भी इतना पारदर्शी बना दिया है कि अब वो विभेद प्रभावी रुप से संभवतः रह ही नहीं गया है और जो विभेद को देख सकते हैं उनकी होने या ना होने से किसी को बहुत फर्क नहीं पड़ता।
आम आदमी पार्टी, भाजपा, काँग्रेस व भारत की राजनीति
आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब की जीत दिल्ली की जीत की तरह ही बहुत बड़ी व प्रभावशाली है और दोनों जीतों को एक साथ मिलाकर देखने पर आम आदमी पार्टी का ये प्रदर्शन अविस्मरणीय है क्योंकि ऐसी जीतें बहुकोणीय मुकाबलेमें बहुत ही कम देखने को मिलती है। आम आदमी पार्टी ने ये काम दो प्रदेशों में कर के दिखाया है। इस जीत से इतना तो स्पष्ट परिलक्ष्यित हो रहा है आम आदमी पार्टी की जमीनी पहुँच व पकड़ इन दो प्रदेशों में बहुत ही गहरा हो गया है। इसके साथ-साथ पंजाब की जीत आप के चुनाव लड़ने की कार्य योजना को भी शक्तिशालीरूप से रेखांकित कर रहा है।
The Kashmir Files व रेटिंग का खेल
The Kashmir Files पर हो रहा उचित व अनुचित चर्चाओं-परिचर्चाओं ने इस फिल्म के प्रति लोगों में गजब का आकर्षण पैदा कर दिया है। दो-तीन पहले फिल्म देखने के इरादे से मैंने गूगल पर The Kashmir Files किस थिएटर में लगी है जानने के लिए सर्च किया तो बहुत ही इंटरेस्टिंग व विरोधाभासी सूचना हाथ लगी थी
जैसा कि सभी को पता है कि अनेकों समाचारपत्र व बेवसाइट्स फिल्मों पर अपने रेटिंग प्रकाशित करते हैं। उसी क्रम में IMDb व Paytm जैसी संस्थाएँ भी The Kashmir Files की रेटिंग्स प्रकाशित की हैं जो सामान्य दर्शकों की राय से तैयार होती हैं। IMDb व Paytm के अनुसार इस फिल्म को उस दिन 9.9/10 की रेटिंग मिला था जो अब गिर कुछ कम हो गया है। हालाँकि उसी दिन The Indian Express ने The Kashmir Files की रेटिंग 1.5/5 दिया था। The Indian Express अपना रेटिंग एक्पर्ट की राय द्वारा तय करता है। दूसरी ओर The Kashmir Files एक दूसरा पोस्टर भी हाथ लगा जो IMDb व Paytm वाली राय ही इंडोर्स कर रहा था। उस पोस्टर में लगभग सभी बड़े नामों फिल्म को बहुत अच्छी रेटिंग्स दिया था।
आप का प्रशासन मॉडल
आम आदमी पार्टी (आप) की पंजाब की जीत दिल्ली की जीत की तरह ही बहुत बड़ी और प्रभावशाली है। ऐसी जीतें बहुकोणीय मुकाबलेमें बहुत ही कम देखने को मिलती है। यह जीत आप की जमीनी पहुँच व पकड़ के साथ-साथ आप के चुनाव लड़ने की कार्य योजना को भी शक्तिशालीरूप से रेखांकित कर रहा है।
बहुत लोग आप को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए काँग्रेस के विकल्प के रूप में देख रहे हैं किन्तु आप अभी काँग्रेस की विकल्प बन पाने की स्थिति में ना ही संगठनात्मक व ना ही अनुभव के स्तर पर सक्षम है।
Tech Crackdown by China and Investment in India
The Tech Crackdown by the Chinese authorities was the least expected when the world was still struggling with the Coronavirus pandemic. It took everyone by surprise. China's tech crackdown which started in 2021 is aimed at reorienting the technologies aligning with the national technological priorities of the countries aimed to gain global technology supremacy, stopping monopolies as well as bringing the increasing inequalities down, however a costly affair. This has caused a lot of stress on the Chinese technology firms, investors, venture capital and private equity firms which have invested in China. As a result, a lot of money has started flying to India, the second hottest destination for such money. The loss of China is becoming the gain for India. However, the data suggest that there persists a lot of gap in the flow of private equity and venture capital investment between the two economies.
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