Hindenburg’s Report on Adani and Its Ramifications

Hindenburg Research has come up with a report on the Adani Group which clearly alleges that the Adani Group firms have been involved in financial window dressing and stock market manipulations. These are very serious allegations with huge consequences and repercussions for the Adani Group in particular and the Indian economy in general. The shares of the Adani Group companies are on free fall since the report has gone public. Not only this but the report has also negatively affected the sentiments and volatility in the Indian stock market and many other stocks have to bear the brunt as a result of negative sentiments in the market.

Increasing Intellectual Bankruptcy in India

With the decision of the Supreme Court of India, all the questions regarding the constitutionality of the demonetisation of currency notes by the Indian government in 2016 are now settled forever. A 4:1 verdict establishes that due process was followed and the Reserve Bank of India was in the loop. However, the questions regarding the economic and social impact of demonetisation would never die down and should not. A fair and unbiased discussion, as well as an assessment of this key but knee-jerk policy decision, is necessary so that this episode of demonetisation could be used as a case study for future policymakers.

The Government of India demonetised ₹500 and ₹1,000 currency notes in 2016 with the stated objectives to clean illicit money and cashless economy which eventually proved to be a very costly affair for the economy. However, after six years of demonetisation, it can easily be said that ideally none of the stated objectives was ever achieved apart from the cleansing of the counterfeit currency notes from the market.

गहराता भारतीय अर्थतंत्र

आईएमएफ के आर्थिक पूर्वानुमान के अनुसार भारतीय अर्थव्यस्था में 2022 में 7.4% व 2023 में 6.1% की दर से वृद्धि होगी। हालाँकि इस बात की पूरी संभावना है आईएमएफ अपने अगले पूर्वानुमान में इस वृद्धि की दर को मानसून में आए अनियमितता को जगह देते हुए रीवाइज किया जाएगा और ये दरें कुछ कम हों। ये वृद्धि दरें ऐसे समय में और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं जब भारत के लगभग सभी पड़ोसी देश आर्थिक समस्याओं में घिरे हैं किन्तु तब भी भारतीय अर्थव्यवस्था इन कठिन परिस्थितियों में अपनी आर्थिक गतिविधि को बहुत प्रभावित होने से बचा पाने में सक्षम रहेगी।

पड़ोसी देश श्रीलंका पहले ही डिफॉल्ट कर चुका है और वहाँ की आर्थिक परिस्थितियों को ठीक करने की दिशा में भारत सबसे बड़ा सहयोगी सिद्ध हुआ है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है और बहुत कठिन शर्तों पर बाह्य आर्थिक सहयोग मिलने की संभावना बन पा रही है। बाँग्लादेश अपने बाह्य भुगतान के लिए आईएमएफ से सहयोग की माँग कर रहा है। म्यामांर, मालदीव व नेपाल की आर्थिक स्थिति भी बहुत स्थिर नहीं है। कुल मिलाकर सार्क में भारत व भुटान को छोड़कर सभी देश आर्थिक परेशानियों से घिरे हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था का 7.2% के दर से बढ़ने का पूर्वानुमान

अधिकांश वैश्विक संस्थानों का अनुमान है कि 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7% से अधिक की दर से बढ़ेगी। आईएमएफ, आरबीआई और एडीबी ने क्रमशः 7.4%, 7.2% और 7.2% पर पूर्वानुमान लगाया है। यदि भारत दिसंबर 2022 को समाप्त होने वाली तीसरी तिमाही के अंत तक मुद्रास्फीति को भारतीय रिजर्व बैंक के सहिष्णुता स्तरों की सीमा के अन्दर ले आने में सक्षम हो जाती है, तो भारतीय अर्थव्य्वस्था के लिए आर्थिक मोर्चे पर चीजें सहज हो जाएंगी तथा इस बात की संभावना बढ़ जाएगी कि भारत वैश्विक मंदी से बचने में सक्षम हो जाए। हालांकि यह बहुत आसान नहीं होने वाला है क्योंकि इसका होना बहुत हद तक इस साल मानसून पर निर्भर है।

ट्रेड डेफिसिट व पूँजी पलायन का दोहरा दबाव और भारतीय रूपया

Trade Deficit India
लगभग सभी तरह के आर्थिक व वित्तीय संकेतकों व सूचकाँकों के आधार पर कहा जा सकता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था शीघ्र ही मंदी के चपेट में आ जाएगी। हालाँकि अभी ये कहना जल्दबाजी होगा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में आनेवाली ये मंदी कितने समय तक बनी रहेगी व इसका समग्र असर क्या होगा? किन्तु वैश्विक अर्थव्यवस्था के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स इस संभावित मंदी के प्रति प्रतिक्रिया करते हुए अपने हितों को सुरक्षित करने का प्रयास करना प्रारम्भ कर चूके हैं।

विदित हो कि किसी भी संभावित नकारात्मक आर्थिक परिप्रेक्ष्य में सबसे पहले प्रतिक्रिया करने वाले स्टेकहोल्डर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक होते हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक किसी भी अर्थव्यवस्था में अपना पैसा तभी तक लगाए रखते हैं जब उनका हित व निवेश सुरक्षित रहता है। उसके लिए राष्ट्रीयता जैसी किसी भावना का कोई तात्पर्य नहीं होता है। जैसे ही किसी अर्थव्यवस्था का आर्थिक परिदृश्य उनकी अपेक्षाओं के विपरीत जाने लगता है, वे अपना पैसा कम सुरक्षित बाजार से निकालकर, अधिक सुरक्षित बाजार में निवेश करना प्रारम्भ कर देते हैं।

रूपए का डेप्रिसिएशन

प्रश्न पूछना व उनके उत्तर ढ़ूढ़ना एक नागरिक का अनिवार्य दायित्त्व है। किन्तु साथ ही ये भी आवश्यक है कि उचित प्रश्न पूछा जाए ताकि एक सही व उपजाऊ विमर्श की स्थिति बन सके।

भारत व दुनिया में आने वाली संभावित मंदी को लेकर तरह-तरह के प्रश्न पूछे जा रहे हैं और ठीक व उचित भी है। हर समझदार व्यक्ति का चिन्तित होना स्वभाविक है। किन्तु अनेकों लोगों के द्वारा कुछ ऐसे भी प्रश्न पूछा जा रहा है जिनका कोई मतलब नहीं है।

पिछले कुछ समय से भारतीय रूपए का मूल्य डॉलर की तुलना में लगातार गिरा है और यह एक कटु सत्य भी है। किन्तु रूपए के मूल्य के गिरावट में अस्वभाविक क्या है? क्या भारतीय रूपया एक मात्र करेंसी है जो लगातार डेप्रिसिएट हो रही है? इस प्रश्न के एक शब्द में उत्तर है ‘नहीं’। दुनिया की लगभग सारी बड़ी मुद्राएँ लगातार डेप्रिसिएट हो रही हैं और ऐसा होना स्वाभाविक भी है।

अग्निवीर नहीं बनना है!

आपको अग्निपथ योजना पसंद नहीं है! बढिया है। बहुत अच्छी बात है। बिल्कुल विरोध करिए। मैं तो कहता हूँ जमकर विरोध करिए किन्तु तरीका बदलकर। थोड़ा सृजनात्मक तरीके से विरोध करिए।

जब सरकार को भर्ती करना होगा तो तय है कि विज्ञापन निकालेगी ही। बस आपको करना ये है कि सरकार चाहे कितने भी विज्ञापन निकाले, आप भर्ती होने जाइए ही मत! क्या कर लेगी सरकार? कुछ नहीं।

अग्निपथ योजना, हिंसा व अराजकता

हिंसा धीरे-धीरे भारतीय समाज में प्रतिक्रिया व असहमति के संप्रेषण का मुख्य व स्थाई भाव बनता जा रहा है। कभी धर्म के नाम पर, कभी कानून के विरोध में, कभी किसी योजना के ना पर तो कभी किसी भ्रष्ट नेता के भ्रष्टाचार के समर्थन में सिर्फ देश को हिंसा के आग में ही नहीं बल्कि युवाओं को एक अंधेरी गुफा में भी ढकेला जा रहा है। इससे ना तो देश का भला होनेवाला है और ना ही उन युवाओं का उकसाए जाने के बाद हिंसा का माध्यम बनते हैं। लेकिन कहते हैं ना कि किसी के हानि में किसी ना किसी का लाभ छुपा होता है और इन हिंसक घटनाओं में तो हितधारकों का दोहरा लाभ छुपा होता है। इन हिंसक घटनाओं का दोहरा लाभ उन दलों व संस्थाओं को मिलता है जो युवाओं का उकसाकर इस हिंसा को फैलाते हैं। उन दलों व संस्थाओं को ढेर सारी चर्चाओं व सहानुभूति के साथ-साथ बड़ी संख्या में स्थाई कार्यकर्ता जरूर मिल जाएंगे।

Rising Inflation across the Globe

Tomorrow on 8th of June 2022 the MPC of RBI would announce the monetary policy for India and it is expected that the interest rates would be increased by around 50 basis points in response to the rising inflation. It should be noted that inflation in the Indian economy has been rising for many months and there is no indication of it falling in the next few months. These realities have forced RBI to reconsider its accommodative monetary policy which was aimed at supporting growth in the economy which has been hit hard by the Coronavirus pandemic.

It must be noted that today inflation is not a local issue altogether. Rather if it said that no economic activity across the globe remains a local activity but a global activity in the globalized markets and financial integration. Today the whole world is under tremendous pressure of rising inflation. This has been caused by many factors. Some factors are global in nature and some are local. However it must be noted that rising food inflation has been the largest contributor in overall inflation across the globe.

बुल्डोजर विमर्श

यह महान देश विमर्शों का देश है। यहाँ की उपजाऊ भूमि ने विमर्श की एक महान परम्परा को पुष्पित व पल्लवित किया है। इस महान धरा का मेरे ऊपर यह असर हुआ कि मैं भी वार्तालाप के माध्यम से विमर्श की महान परम्परा में अपना गंभीर योगदान देना शुरू कर दिया है।

इस गंभीर योगदान का विषय बना है 'बुल्डोजर विमर्श' और इस विमर्श में सार्थक योगदान दिया है मेरे ही दो मनों ने!