भारतीय अर्थव्यवस्था का 7.2% के दर से बढ़ने का पूर्वानुमान
ट्रेड डेफिसिट व पूँजी पलायन का दोहरा दबाव और भारतीय रूपया
रूपए का डेप्रिसिएशन
प्रश्न पूछना व उनके उत्तर ढ़ूढ़ना एक नागरिक का अनिवार्य दायित्त्व है। किन्तु साथ ही ये भी आवश्यक है कि उचित प्रश्न पूछा जाए ताकि एक सही व उपजाऊ विमर्श की स्थिति बन सके।
भारत व दुनिया में आने वाली संभावित मंदी को लेकर तरह-तरह के प्रश्न पूछे जा रहे हैं और ठीक व उचित भी है। हर समझदार व्यक्ति का चिन्तित होना स्वभाविक है। किन्तु अनेकों लोगों के द्वारा कुछ ऐसे भी प्रश्न पूछा जा रहा है जिनका कोई मतलब नहीं है।
पिछले कुछ समय से भारतीय रूपए का मूल्य डॉलर की तुलना में लगातार गिरा है और यह एक कटु सत्य भी है। किन्तु रूपए के मूल्य के गिरावट में अस्वभाविक क्या है? क्या भारतीय रूपया एक मात्र करेंसी है जो लगातार डेप्रिसिएट हो रही है? इस प्रश्न के एक शब्द में उत्तर है ‘नहीं’। दुनिया की लगभग सारी बड़ी मुद्राएँ लगातार डेप्रिसिएट हो रही हैं और ऐसा होना स्वाभाविक भी है।
अग्निवीर नहीं बनना है!
अग्निपथ योजना, हिंसा व अराजकता
Rising Inflation across the Globe

बुल्डोजर विमर्श
यह महान देश विमर्शों का देश है। यहाँ की उपजाऊ भूमि ने विमर्श की एक महान परम्परा को पुष्पित व पल्लवित किया है। इस महान धरा का मेरे ऊपर यह असर हुआ कि मैं भी वार्तालाप के माध्यम से विमर्श की महान परम्परा में अपना गंभीर योगदान देना शुरू कर दिया है।
इस गंभीर योगदान का विषय बना है 'बुल्डोजर विमर्श' और इस विमर्श में सार्थक योगदान दिया है मेरे ही दो मनों ने!
महँगाई, मॉनिटरी पॉलिसी व नीतिगत हस्तक्षेप
परम्परा नकल की
मैं एक बहुत ही परम्परावादी व्यक्ति हूँ और सदैव ही प्रयास करता हूँ कि परम्पराएँ जीवित व संरक्षित रहें। लेकिन मैं परम्परावादी होने के साथ-साथ लोकतंत्रवादी भी हूँ। मेरी राय है कि परीक्षाओं से पहले पेपर के लीक होने से समाज में समानता के भाव में कमी आती है व पुराना विशेषाधिकार वाला भाव प्रभावी होता है। इस तरह यदि ये कहा जाए कि माननीय मुलायम सिंह का क्रांतिकारी विचार अब बुर्जुआ हो चुका है। सुना है कि हर क्रान्तिकारी विचार कुछ समय बाद बुर्जुआ हो ही जाता है।
रेट
दूसरा - 'तीन सौ।'
पहला - 'नया है क्या?'
दूसरा - 'हाँ। तुम्हें कितना मिलेगा?'
पहला - 'पाँच सौ।'
दूसरा -'ऐं! पाँच सौ?'
पहला -'हैरान क्यों हो रहा है? कुछ तो सिर्फ खाने पर आए हैं।'