ये कौन आया है, दरवाजे पर खड़ा?
देता नहीं जवाब, है मौन मुस्करा रहा
नाम पूछा, पता पूछा
आने की वजह पूछा
कुछ ना बोला मुस्कराता रहा
चुपचाप मगर कुछ बताता रहा।
ये कौन आया है, दरवाजे पर खड़ा?
कल रवीश भाई सपने में आए थे और कहने लगे, ‘वत्स उठो, जागो, कन्हैया को गरीब मानो और जब तक सभी उसे गरीब ना मान लें तब तक सबको मनाते रहो।’
Jet Airways is down however temporarily but there is a rare possibility that it would be back in the air again. It is likely that Jet Airways would have the same fate as of the Kingfisher’s. It is debt ridden and unable to even service the debt and very high operational costs, no pilots to fly its planes and hardly any plane. Lenders have already declined to offer emergency fund even after giving verbal assurance to provide with Rs 1200 crores. These circumstances make it even more difficult for Jet Airways to comeback in the air.
हर पीड़ा अपने आप में मुक्कमल होती है परन्तु जब वो नासूर बनकर चुपचाप रिसती चली जाती है तो वो जाने-अंजाने समय की दीवार पर एक नई कहानी लिख रही होती है जिसकी इबारतों में हमारी सांसों की स्याही अपना हुनर कुछ इस तरह दिखलाती है कि सब कुछ आँखों के सामने होता है और कुछ भी परदे से बाहर भी नहीं निकलता है। शायद जिन्दगी की तस्वीर कुछ यूँ करके ही मुक्कमल होना जानती है या फिर तस्वीरों में रंग शायद ऐसे ही भरा जाता है। या फिर हमारे दर्द का रंग चटक होकर आँखों से ओझल होना जानता है कि हम अपनी कहानियों के कुछ ऐसे पहलुओं से भी रूबरू हो सकें जो हमारे अपने लिए ही एक अचम्भा सा लगता है। कि यकीन ही नहीं होता कि कुछ ऐसे भी पहलु हैं हमारे अंतस के जिसे हमें बहुत पहले ही जान लेना चाहिए था। 