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कोरोना, गोमूत्र और उपहास का कॉकटेल

ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा: रिस्क और रिटर्न का ट्रेड ऑफ

कोरोना रूपी मानवीय त्रासदी

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार हुबेई के किसी बायोकेमिकल लैबोरेट्री में चीनी वैज्ञानिक केमिकल वेपन के रूप मे उपयोग में लाए जा सकने लायक वायरसों की खोज एवं प्रयोग हो रहा था। उसी क्रम में हुएह लीकेज के कारण ये वायरस कंट्रोल्ड इंवायरमेंट से निकलकर मानवीय संपर्क में आ गया और जब वैज्ञानिकों को इसकी खबर लगी ये कोरोना वायरस बेतरतीब तरीक़े से फैल शुरू कर दिया था।
बौद्धिक हिप्पोक्रेसी एवं हिन्दुओं में जागता विक्टिम भाव

नागरिकता अधिनियम पर हंगामा है क्यों बरपा?

नागरिकता अधिनियम 1955 में सामान्य स्थिति में भारत में नागरिकता मिलने के ४ निम्नलिखित प्रकार वर्णित हैं।
१. जन्म से (By Birth)
२. वंशागत (By Descent)
३. पंजीकरण (By Registration)
४. प्राकृतीकरण (By Naturalization)
हालांकि एक पाँचवाँ प्रकार भी है नागरिकता को लेकर परन्तु यह तब लागू होता है जब भारत किसी भूभाग को अपनी सीमाओं में अधिग्रहित करता है। अधिग्रहण के फलस्वरूप उस भूभाग में रहने वाले सभी निवासियों प्राकृतिक रुप से नागरिकता मिल जाती है।
One has Right to Protest but Peacefully

The Irony of Being Mamata Banerjee

नमन! विनायक दामोदर सावरकर
हमने धीरे-धीरे एक ऐसा समाज बना दिया है जो आज एक बाइनरी में सोचने को मजबूर है। वो हर चीज को तेरा-मेरा के दृष्टिकोण से ही देखने का आदी हो चला है। सामाजिक विषय हो या फिर राजनैतिक, हर आदमी किसी ना किसी पक्ष में खड़ा है और उसी के हिसाब से अपने सुख और दुख, अपने लाभ और हानि और यहाँ तक की साझे इतिहास तक का उसी पैमाने पर आकलन कर रहा है। इतिहास का कौन सा चरित्र मेरा है और कौन सा तेरा है, पहले से ही तय करके बैठा है और उसी के हिसाब से उसकी संवेदनाएँ जगती हैं। पता नहीं इसे क्या कहें? उच्च राजनैतिक अवेयरनेस या वैचारिक रतौंधी?
जवाहरलाल नेहरू: भारतीय लोकतंत्र के नींव का पत्थर

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू एक राजनेता थे। एक स्टेससमैन के रूप में वे अपनी समझ और सामर्थ्य के अनुसार अपने समकालीन परिस्थितियों में जो कुछ भी देशहित में हो सकता था, करने का प्रयास किया। उनके कुछ निर्णयों से देश को दूरगामी लाभ मिला तो कुछ से दूरगामी नुकसान भी। और इसमें कहीं से कुछ भी असामान्य नहीं है। पूरी दुनिया के इतिहास में एक भी ऐसा राजनेता नहीं मिलेगा जिसके सारे ही निर्णय समय की कसौटी पर सही साबित हुए हों। ये संभव ही नहीं है। सबसे आश्चर्यजनक बात ये होती है कि इस बात को हर राजनेता जानता है फिर भी उसे निर्णय लेना होता है और वो लेता है। नेहरू कहीं भी इससे भिन्न नहीं थे।
विकास और राष्ट्रीयता का भाव, भाजपा का प्रचण्ड बहुमत

चुनावी राजनीति कहीं से भी ऊपर के संतुलन से अलग नहीं है। बल्कि चुनावी राजनीति में प्रोडक्ट की क्वॉलिटी और पैकेजिंग का एक सामान्य प्रोडक्ट की तुलना में बहुत ज्यादा योगदान होता है और ये काम एक सामान्य सामान बेचने की तुलना में कहीं बहुत ही कठिन काम है। राजनीति में प्रोडक्ट की क्वॉलिटी विकास के पैमाने पर मापी जाती है; तो पैकेजिंग को भावनात्मक अपील से परखा जाता है। जिस भी राजनैतिक दल ने इस सन्तुलन को हाशिल करने में सफलता प्राप्त की है, वह हिट है और आगे भी हिट रहेगा। भाजपा ने यही किया और परिणाम सबके सामने है। प्रचण्ड बहुमत। विकास उसक्के प्रोडक्ट का गुणवत्त्ता था तो राष्ट्रीयता का भाव उसकी पैकेजिंग का पैमाना। (इसे आप अपने बनाए राष्ट्रवाद से सीमित परिभाषा से ना जोडें)।
सोशल मीडिया के वीरों को एक पत्र
हे भारत के वीरों!
आप थमकर जरा सोच लें फिर अजहर मसूद के बीमार या मरने पर खुशियाँ जाहिर करें। ध्यान से सुनिए। ना ही वो बीमार है और ना ही वो मरा है। वह सुरक्षित किसी सेफ हाउस में अगले कदमों की तैयारी कर रहा है। ये अफवाह सिर्फ इसलिए फैलाई जा रही है ताकि कल यदि भारत युद्ध खत्म करने के बदले उसकी माँग करे तो पाकिस्तान कह सके कि वह तो मर चुका है। पुलवामा का हमला कोई छोटी घटना है। हालाँकि आप समझेंगे नहीं फिर भी निवेदन है कि आप तनिक सोच भी लिया करें। युद्ध सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं लड़ा जाता है बल्कि यह चौतरफा मोर्चों पर लड़ा जाता है।
आप थमकर जरा सोच लें फिर अजहर मसूद के बीमार या मरने पर खुशियाँ जाहिर करें। ध्यान से सुनिए। ना ही वो बीमार है और ना ही वो मरा है। वह सुरक्षित किसी सेफ हाउस में अगले कदमों की तैयारी कर रहा है। ये अफवाह सिर्फ इसलिए फैलाई जा रही है ताकि कल यदि भारत युद्ध खत्म करने के बदले उसकी माँग करे तो पाकिस्तान कह सके कि वह तो मर चुका है। पुलवामा का हमला कोई छोटी घटना है। हालाँकि आप समझेंगे नहीं फिर भी निवेदन है कि आप तनिक सोच भी लिया करें। युद्ध सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं लड़ा जाता है बल्कि यह चौतरफा मोर्चों पर लड़ा जाता है।
India in Modern Warfare with Pakistan

Since Mr. Modi became Prime Minister, Indian government is focusing on barricading Pakistan at economic level and breaking the string of pearls in Indian Ocean created by China to barricade. Pakistan and China both understand it very well. That is the reason why China will keep on protecting Azhar Masood. If Azhar Masood is declared as an international terrorist, both the countries know that India will move the resolution to declare Pakistan a terrorist state. And if India is successful in doing so, it would a blow for China from which it will take decade to recover and Pakistan may break into many parts which is already on brink.
अब फिर से रोना-धोना होगा

It’s Hypocrisy that Encourages Communalism in India
Media reports clearly suggest that 86 families belonging to Dalit community are threatening to accept Islam if it can save their houses. These reports on the very first instance seem that this threat is nothing but tactics to gain media attention so that they can raise their issue to broader public so that they can gain some public sympathy and may be immediate relief. These people have been living on unauthorized area for decades. This is now being treated as encroachment by authorities, so they trying to vacate the land so that can build road. It is clearly a case of illegal encroachment. But this needs humanitarian approach. Though, not right precedence.
कोटि कोटि नमन कि आज हम आज़ाद हैं

कोटि कोटि नमन आप सभी को कि आज हम आज़ाद हैं।
बुद्धिजीवी का विमर्श
लोगों को (मुख्य रूप से बुद्धिजीवियों को) ये कहते हुए अक्सर सुनता हूँ कि वक्त बहुत खराब हो गया है। विमर्श के लिए कोई जगह शेष नहीं बची है। संक्रमण काल है। गुजरे जमाने को तो नहीं जानता पर जरुर 12 -15 साल से इन महान विचारकों और बुद्धिजीवियों को देख और पढ़ रहा हूँ। वैसे मेरे पिता श्री इनको बुद्धि-पशु कहना ज्यादा उचित मानते हैं। इन्होंने विमर्श के नाम पर एक दूसरे की या तो बड़ाई की है (प्रगतिशील भाषा में खुजलाना कहते हैं) या फिर पुरी ताकत लगाई उसे गलत और पद दलित बनाने में और इस दौरान अगर किसी ने गलती से विमर्श के विषय में चर्चा मात्र भी किया है तो एकजुट होकर झट से उसको समेटने में लग गये हैं। अगर सामने वाला उनकी तथा कथित महान विचारधारा का नहीं है (जो अक्सर वामपन्थ के नाम से जाना जाता था, अब तो खैर वाम पन्थ फैशन मात्र है जो अक्सर पेज थ्री की पार्टियों में ही दिखाई देता है) तो उसका चरित्र हनन करने में थोड़ा भी हिचकते नहीं हैं। क्या विमर्श में विरोधी विचार धारा के लिए स्थान नहीं होता है? अगर नहीं तो विमर्श किस बात का? क्या सिर्फ इस बात का कि तुम्हारे शर्ट के अच्छा मेरा कुरता है? क्योंकि ये आम आदमी, नहीं क्षमा चाहता हूँ अब तो आम आदमी पर आम आदमी पार्टी का कापीराइट है तो सामान्य जन का पहनावा है। सामान्य जन कहने में भी खतरा है दक्षिणपन्थी कहलाने का। खैर आज विमर्श कुछ इस तरह से होता है कि एक बुद्धिजीवी दूसरे बुद्धिजीवी से कहता है –
“बेवकूफों के शहर में क्यों रहता है
खुद को बेवकूफ क्यों समझता है?
पलट कर देख जमाना सारा चोर है
बस तू ही अकेला मूँहजोर है।”
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राजीव उपाध्याय
धर्म का खेला
कुछ लोग बड़े ही चिन्तित हैं कि भारत में इस्लाम और ईसायत पर हमला हो रहा है क्योंकि कुछ हिन्दूवादी संगठनों ने कुछ मुस्लमानों को तथाकथित रूप से हिन्दू बनाया था आगरा में और अलीगढ़ में तैयारी है कुछ और मुस्लमानों और ईसाइयों को हिन्दू बनाने की। तो कुछ लोग खुश हैं कि चलो कालचक्र का पहिया घूमना शुरू तो हुआ। माफी चाहूंगा पर आप दोनों ही गलत हैं। थोड़ा नहीं बहुत गलत हैं और आप लोगों के इस सोच या कर्म से ना तो राम खुश हो सकते हैं ना ही अल्लाह या ना ही गाड। आप सभी महाविद्वानों से नम्र निवेदन है (शायद आपके के अनुसार मैं इस काबिल नहीं हूँ) आप अपने-अपने धर्मों में पाए जाने वाली विसंगतियों एवं कुप्रथाओं की ओर ध्यान दें नहीं तो आप महाविद्वान लोग अपने-अपने धर्मों नारकीय बना देगें (खैर आपने बहुत हद तक बना दिया है धर्म और मानवता दोनों को) और लोग आपको धन्यवाद बोलकर नया रास्ता ले लेंगे पर तब आपकी बन्दूकें और धन सब धरी की धरी रह जाएंगी।
पता नहीं कौन सा जिहाद ये कि बच्चे छोटे भी काफ़िर हो गए।
माफ करना बच्चों तुम्हारे पिता और दादा कुछ ज्यादे ही सयाने हो गये हैं कि बन्दूक थामकर मजहब बचाने चले हैं………….।
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राजीव उपाध्याय
The Big Brand of Secularism

At present there are three big brands in market of secularism and communal-ism; namely Rahula Gandhi, Mulayam Singh and Narendra Modi. The pioneer brand these days is Mr. Rahul Gandhi and he is very much worried about influence of ISI on Muslim youth of Muzzfarnagar and he finds RSS and BJP to be the reason for the same.
NOTA Can Never be a Right Option

Special Court for Women and Children
The way crime against women and children are on rise, time has come that we must need a special court and legal system for women and children which can fast track such cases. Only fast and tough stances can bring changes in our society. And it should be turned into reality else it will be too late.
We have centuries’ old legal system which can suit to the fast changing society which is being caused by so any factors. We have to abandon the old one and put completely new system that can fit into the new value system that is shaping our country. The new sets of values and ethics are replacing the old ones and it has to be accepted and acknowledged by our society and the government. At India Gate I am seeing a completely different world and yes, this would be the future. So should be accepted than denied the right place in society. That is the only way we can deal with the new sets of values and ethics.
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